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Grammar - Hindi Kriyaon Ki Roop-Rachana

Grammar - Hindi Kriyaon Ki Roop-Rachana
हिन्‍दी के आरम्भिक व्याकरण यूरोपीय विद्वानों ने लिखे थे। इन व्याकरणों को लिखने में उन्होंने वही पद्धति अपनाई, जिसमें उनके अपने व्याकरण लिखे गए थे। लौटिन पद्धति के उन व्याकरणों में पदों का वर्गीकरण अर्थमूलक आधार पर ही होता था। बाद में जब हिन्‍दी भाषाभाषी विद्वानों ने व्याकरण लिखे तो उन्होंने भी जाने-अनजाने पूर्वलिखित व्याकरणों को आधार बनाया। भारतीय प्राचीन पद्धति पदों का विवेचन तथा वर्गीकरण उनकी रूप-रचना के आधार पर ही करती थी। विश्वविख्यात ‘अष्टाध्यायी’ इसका ज्वलन्‍त प्रमाण है।प्रस्तुत पुस्तक में क्रियापदों के सभी वर्गीकरण पदों की रूप-रचना पर ही आधारित हैं। एकपदीय और द्विपदीय क्रियापद, विकारी और अविकारी क्रियापद, कर्तृ अनुगामी और कर्मादि-अनुगामी क्रियापद, कर्तृवाच्य और कर्मादिवाच्य क्रियापद आदि सभी वर्गीकरणों का आधार पूर्णतः उनकी रूप-रचना ही है।

Grammar - Hindi Kriyaon Ki Roop-Rachana

Hindi Kriyaon Ki Roop-Rachana - by - Lokbharti Prakashan

Hindi Kriyaon Ki Roop-Rachana -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP3287
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP3287
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 156p
  • Edition: 2019, Ed. 2nd
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2017
₹ 395.00
Ex Tax: ₹ 395.00