Economics - Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan
यदि सभी व्यक्ति निजी स्वार्थों में ही लिप्त हो जाएँ, तो इस संसार की गति बन्द हो जाएगी, सूर्य प्रकाश देना बन्द कर देगा एवं हवा चलना बन्द कर देगी।यदि संगठन, संस्थान, समाज या देश आगे बढ़ेगा तो उस समृद्धि में उसे भी अपना अंश अवश्य ही एक दिन मिलेगा। जब तक इस तथ्य की सांस्कृतिक चेतना जाग्रत नहीं हो जाती, हमारा देश लँगड़ाकर ही चलता रहेगा।भूमंडलीकरण का अर्थ यह नहीं है कि हम उदारीकरण या निजीकरण के नाम पर अपने आर्थिक ढाँचे का केन्द्रीकरण कर दें। सभी पद्धतियों का लक्ष्य है कि सबसे अधिक लोगों को सबसे अधिक लाभ पहुँचे।महात्मा गांधी ने नीति-निर्धारकों को हर समय देश के निर्धनतम व्यक्ति की ओर ध्यान रखने की सलाह दी थी। हमें निश्चय ही विदेशी क़र्ज़ों के बोझ को कम करने एवं महँगाई घटाने के लिए बचत एवं सादा-जीवन पद्धति को प्रोत्साहन देना होगा।यह परमावश्यक है कि हम देश में आर्थिक विषमता को दूर करें, भूमि-सुधार कार्यक्रम को आगे बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्र में मानव-संसाधन का विकास करें।
Economics - Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan
Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan - by - Lokbharti Prakashan
Bharat Ke Vikas Ki Chunotiyan -
- Stock: 10
- Model: RKP3367
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP3367
- ISBN: 0
- Total Pages: 164p
- Edition: 2013
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
- Year: 0
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00