Biography - Hadapada Appanna-Lingam
ध्यान करना चाहूँ तो क्या ध्यान करूँ।मन तेजोहीन धुँधला पड़ गया था, तन शून्य हो गया था।कायक गुण गल चुका। देह से अहं मिट गया था।अपने आपसे प्रकाश में झूमते मैं सुखी बनीअप्पण्णाप्रिय चन्नबसवण्णा॥ मन याद कर रहा है।बुरी विषय वासना की ओर मन बहक रहा है।डाली की चोटी की ओर जा रहा है मनमन किसी भी नियम में बँधता नहीं,छोड़ देने पर मन जाता भी नहीं।अपनी इच्छा पर मनमानी करते मन को नियम में बाँधकरलक्ष्य में स्थिर करके शून्य में विहरनेवालेशरणों के चरणों में मैं समा रहीअप्पण्णाप्रिय चन्नबसवण्णा॥—लिंगम्मा घास-फूस-कचरा निकालकर स्वच्छ किएहुए खेत में कूड़ा-करकट बोनेवाले पागलों की तरहविषय-सुखों के झूठे भ्रम में लोलुप होकरतकलीफ़ में पड़नेवाले मनुष्य कैसे जान सकतेमहाघन गुरु के स्वरूप को?मरण बाधा में पड़नेवाले आपको कैसे जान सकते हैंबसवप्रिय कूडल चन्नबसवण्णा? ॥ भूख मिटाने अन्न स्वीकार करते हैं,विषय के मोह में झूठ बोलते हैं,नए-नए व्यसन में पड़करभस्म धारण करके सारा विश्व घूमते हैं।इस मिथ्या को छोड़कर, माया के धुँधलेपन को दूर किए बिनानहीं समा सकता हमारा बसवप्रिय कूडल चन्नबसवण्णा॥ —अप्पण्णा
Biography - Hadapada Appanna-Lingam
Hadapada Appanna-Lingam - by - Lokbharti Prakashan
Hadapada Appanna-Lingam - ध्यान करना चाहूँ तो क्या ध्यान करूँ।मन तेजोहीन धुँधला पड़ गया था, तन शून्य हो गया था।कायक गुण गल चुका। देह से अहं मिट गया था।अपने आपसे प्रकाश में झूमते मैं सुखी बनीअप्पण्णाप्रिय चन्नबसवण्णा॥ मन याद कर रहा है।बुरी विषय वासना की ओर मन बहक रहा है।डाली की चोटी की ओर जा रहा है मनमन किसी भी नियम में बँधता नहीं,छोड़ देने पर मन जाता भी नहीं।अपनी इच्छा पर मनमानी करते मन को नियम में बाँधकरलक्ष्य में स्थिर करके शून्य में विहरनेवालेशरणों के चरणों में मैं समा रहीअप्पण्णाप्रिय चन्नबसवण्णा॥—लिंगम्मा घास-फूस-कचरा निकालकर स्वच्छ किएहुए खेत में कूड़ा-करकट बोनेवाले पागलों की तरहविषय-सुखों के झूठे भ्रम में लोलुप होकरतकलीफ़ में पड़नेवाले मनुष्य कैसे जान सकतेमहाघन गुरु के स्वरूप को?
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- Model: RKP3212
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP3212
- ISBN: 0
- Total Pages: 96p
- Edition: 2020, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2020
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00