Menu
Your Cart

Devotional Literature

Devotional Literature
अहंकार की भक्ति से धन का नाशक्रियाहीन बातों से ज्ञान का नाशदान दिए बिना दानी कहलाना केश बिना शृंगार जैसादृढ़ताहीन भक्ति तलहीन कुंभ में पूजा जल भरने जैसीमारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग को यह न छूनेवाली भक्ति है॥कायक की कमाई समझ भक्त दान की कमाई सेदासोह कर सकते हैं कभी?इक मन से लाकर इक मन से ही..
₹ 300.00
Ex Tax:₹ 300.00
अज्ञान रूपी पालने मेंज्ञान रूपी शिशु सुलाकरसकल वेदशास्त्र रूपी रस्सी से बाँधकर झूला,झुलाती हुई पालनेलोरी गा रही है, भ्रान्ति रूपी माई!जब तक पालना न टूटे, रस्सी न कटेलोरी बन्द न होतब तक गुहेश्वर लिंग के दर्शन नहीं होंगे॥अल्लम सृजनशीलता के प्रति विश्वास रखते हैं कि ‘नि:शब्द ज्ञान क्या ..
₹ 300.00
Ex Tax:₹ 300.00
निर्बलों की सहायता करना ही सबलों का कर्तव्य है। उसी से सुखी समाज की स्थापना हो सकती है। सभी धर्मों के मूल में दया की भावना ही प्रमुख है। बसवेश्वर के एक वचन का यही भाव है— दया के बिना धर्म कहाँ?सभी प्राणियों के प्रति दया चाहिएदया ही धर्म का मूल हैदया धर्म के पथ पर जो न चलताकूडलसंगमदेव को ..
₹ 400.00
Ex Tax:₹ 400.00
प्रो. हौली पिछले कई दशकों से भक्ति और हिन्दू परम्परा के अन्य पहलुओं पर विचारोत्तेजक काम करते रहे हैं। केनेथ ब्रायंट के साथ मिलकर उन्होंने सूरदास के पदों की प्रामाणिकता और पाठ-निर्धारण पर काम किया है। प्रस्तुत पुस्तक मूल अंग्रेज़ी में 2005 में प्रकाशित हुई थी। इस बीच नई खोजें हुई हैं, भक्ति-विमर्श मे..
₹ 299.00
Ex Tax:₹ 299.00
छोटा होने से क्या हुआ? या बड़ा होने से?ज्ञान के लिए क्या छोटे-बड़े में अन्तर है?आदि-अनादि से पूर्व, अंडांडब्रह्मांड कोटि के उत्पन्न होने से पूर्वगुहेश्वर लिंग में तुम ही अकेले एक महाज्ञानीदिखाई पड़े, देखो जी, हे चन्नबसवण्णा! भक्त को शान्तचित्त रहना चाहिएअपनी स्थिति में सत्यवान रहना च..
₹ 300.00
Ex Tax:₹ 300.00
ध्यान करना चाहूँ तो क्या ध्यान करूँ।मन तेजोहीन धुँधला पड़ गया था, तन शून्य हो गया था।कायक गुण गल चुका। देह से अहं मिट गया था।अपने आपसे प्रकाश में झूमते मैं सुखी बनीअप्पण्णाप्रिय चन्नबसवण्णा॥ मन याद कर रहा है।बुरी विषय वासना की ओर मन बहक रहा है।डाली की चोटी की ओर जा रहा है मनमन किसी..
₹ 300.00
Ex Tax:₹ 300.00
बौद्ध-सिद्धों और पत्रों की सामाजिक स्थिति में भी एक बहुत बडा अन्‍तर आ चुका था। 8वीं शताब्दी में तांत्रिक आन्दोलनों के अध्ययन से प्रतीत होता था कि सारे देश में संकीर्ण जाति-व्यवस्था और शुद्धतावादी अमीर-पद्धति के विरुद्ध एक व्यापक विद्रोह जाग उठा था और निम्न वर्ग की जातियाँ उस समय सशक्त और जागरूक थीं।..
₹ 700.00
Ex Tax:₹ 700.00
Showing 1 to 7 of 7 (1 Pages)