Biography - Siddharameshwara : Vyakti-Kriti
वाचन से जो अनुभवी नहीं होता वह प्रेत है, वाचन से जो अनुभवी होता है वह पंडित है। विद्या तो परिश्रमी के वश में है, विद्या-अविद्या की पहचान से जग के लिए वेदज्ञ हो सका तो वही महापंडित है। हे कपिलसिद्ध मल्लिकार्जुन! भक्त का मन कामिनी में अनुरक्त होता है तो विवाह कर संग रहना चाहिए, भक्त का मन भूमि पर अनुरक्त होता है तो प्राप्त कर घर बनाना चाहिए, भक्त का मन कनक में अनुरक्त होता है तो सप्रयास प्राप्त करना चाहिए, हे कपिलसिद्ध मल्लिकार्जुन!
Biography - Siddharameshwara : Vyakti-Kriti
Siddharameshwara : Vyakti-Kriti - by - Lokbharti Prakashan
Siddharameshwara : Vyakti-Kriti - वाचन से जो अनुभवी नहीं होता वह प्रेत है, वाचन से जो अनुभवी होता है वह पंडित है। विद्या तो परिश्रमी के वश में है, विद्या-अविद्या की पहचान से जग के लिए वेदज्ञ हो सका तो वही महापंडित है। हे कपिलसिद्ध मल्लिकार्जुन!
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- Model: RKP3178
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP3178
- ISBN: 0
- Total Pages: 104p
- Edition: 2020, 1st Ed.
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2020
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00