Literary - Devangana - Paperback
वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षाम: और सोमनाथ जैसे सुप्रसिद्ध उपन्यासों के लेखक आचार्य चतुरसेन के इस उपन्यास की पृष्ठभूमि बारहवीं ईस्वी सदी का बिहार है जब बौद्ध धर्म कुरीतियों के कारण पतन की ओर तेज़ी से बढ़ रहा था। कहानी है बौद्ध भिक्षु दिवोदास की, जो धर्म के नाम पर होने वाले दुराचारों को देखकर विद्रोह कर डालता है। जिसके लिए उसे कारागार और पागलखाने में डाल दिया जाता है। वहां पर उसे एक देवदासी और एक भूतपूर्व सेवक सहारा देते हैं और उनकी सहायता से दिवोदास धर्म के नाम पर किए जाने वाले अत्याचारों का भंडाफोड़ करता है। आचार्य चतुरसेन ने किस्सागोई के अपने खास अंदाज़ में, इस कथानक के जरिये धर्म और धर्म के ढोंग को बहुत ही भावनात्मक और रोचक ढंग से चित्रित किया है और दिखाया है कि भारत से बौद्ध धर्म का लोप किन कारणों से हुआ। पठनीयता इतनी है कि शुरू से अंत तक पाठक को बाँधे रखती है।
Literary - Devangana - Paperback
Devangana - Paperback - by - Rajpal And Sons
Devangana - Paperback -
- Stock: 10
- Model: RAJPAL237
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RAJPAL237
- ISBN: 9789350642702
- ISBN: 9789350642702
- Total Pages: 128
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Paperback
- Year: 2017
₹ 175.00
Ex Tax: ₹ 175.00