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Indic - Bharatiya Upanyaas Ki Avdhaarna Aur Swarup - Hardbound

Indic - Bharatiya Upanyaas Ki Avdhaarna Aur Swarup - Hardbound
‘‘भारतीय उपन्यास को परिभाषित करने के मूल में एक वह किसान जो उपेक्षित, पीड़ित है जिसे साहित्य में स्थान ही नहीं मिला था वह पहली बार नायक बना। हीरो बना प्रेमचन्द के हाथों और दूसरी ओर, वह जो नारी हाशिए पर थी उपन्यास विधा में समस्त संवेदनाओं का केन्द्र बनी। इन दोनों के साथ भारतीय उपन्यास ने वह रूप प्राप्त किया जहाँ इन उपन्यासों में हम भारतीय नारी को पहचान सकते हैं, भारतीय मनुष्य को पहचान सकते हैं।’’ - नामवर सिंह ‘‘हिन्दू समाज ने जब पश्चिमकाल मूल्यों को स्वीकार किया तब आर्थिक व्यवस्था को छोड़कर बाकी सारी व्यवस्थाएँ विकसित मूल्यों के अनुसार रची गईं। व्यापारी अंग्रेज़ संस्कृति यहाँ की आर्थिक व्यवस्था के शोषण के लिए ही आई हुई थी इसलिए सच्चाई यह है कि उन्होंने अन्य सांस्कृतिक व्यवस्थाओं को तो सुधारा किन्तु आर्थिक व्यवस्था को पुरानी मध्ययुगीन ही रखा।’’-भालचन्द्र नेमाड़े ‘‘शायद यह कहना समीचीन होगा कि भारतीयता हड़प्पा और भारतीय-आर्यों की सभ्यताओं की पारस्परिक अंतःक्रिया से जन्मी। भारतीय साहित्य भारतीयता के कलात्मक स्फुरण (उत्प्रेरणा) का पुनःसृजन है। इस साहित्य में न केवल दैनन्दिन जीवन की सच्चाइयाँ, बल्कि दर्शन, एक दृष्टिकोण, उनके धार्मिक विधि-विधाओं और कई दूसरी बातों में बिम्बित विशिष्ट मूल्य प्रतिबिम्बित होते हैं।’’ - तकषि शिवशंकर पिल्लै

Indic - Bharatiya Upanyaas Ki Avdhaarna Aur Swarup - Hardbound

Bharatiya Upanyaas Ki Avdhaarna Aur Swarup - Hardbound - by - Rajpal And Sons

Bharatiya Upanyaas Ki Avdhaarna Aur Swarup - Hardbound -

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  • Stock: 10
  • Model: RAJPAL315
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RAJPAL315
  • ISBN: 9788170289081
  • ISBN: 9788170289081
  • Total Pages: 224
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hardbound
  • Year: 2012
₹ 325.00
Ex Tax: ₹ 325.00