आधुनिक हिन्दी नाटय साहित्य और कथा की दुनिया में मोहन राकेश का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। हिन्दी-रंगान्दोलन को एक नई गति और समृद्धि देने में उनकी निर्णायक भूमिका रही है। ‘अंडे के छिलके : अन्य एकांकी तथा बीज नाटक’ उनके कई प्रयोगधर्मी एकांकियों का संग्रह है। प्रयोगशीलता को मोहन राकेश रंगमंच की भाषा औ..
Arthshastriya Avdharnaye Evem Bhartiya Arthvyastha Tatha Rajasthan Ki Arthvyastha (Economic Concepts And Economy Of India And Rajasthan) For Ras/Rts And Other Rpsc Exams - PP1439 - प्रतियोगिता किताबें..
भारत में भाषाओं , प्रजातियों , धर्मों , सांस्कृतिक परम्पराओं एवं भौगोलिक स्थितियों का असाधारण एवं अद्वितीय वैविध्य विद्यमान हैं । विश्व के इस सातवें विशालतम देश को पर्वत तथा समुद्र शेष एशिया से अलग करते हैं जिससे इसकी अपनी अलग पहचान है , अविरल एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है ; राष्ट्र की अखण्डित मान..
भारतीय जन-जीवन के कुशल कथाशिल्पी प्रेमचन्द की श्रेष्ठ कहानियों के नाट्य-रूपान्तर, जिन्हें सुपरिचित कथाकार चित्रा मुद्गल ने प्रस्तुत किया है। रेडियो और दूरदर्शन से प्रसारित हो चुके ये नाटक स्कूलों के छात्र भी आसानी से खेल सकते हैं। ‘व्यास सम्मान’ से सम्मानित हिन्दी की प्रतिष्ठित कथाकार चित्रा मुद्गल ..
अपनी पहली पुस्तक ‘एक मुलाकात तथा अन्य कहानियाँ’ में लेखक और सिविल पदाधिकारी शुभा सर्मा ने जीवन के भिन्न-भिन्न वर्णनात्मक पहलुओं की जाँच-परख तटस्थता, सूक्ष्मता एवं संवेदना के साथ करने का सफल प्रयास किया है। विषयों की विविधता में विकासशील एवं उन्नत बाजार, शहरी व्यवस्था से लेकर ग्रामीण उड़ीसा के भीतरी ..
विषय-सूचीझारखण्ड सामान्य ज्ञान —Pgs. 1-115• अध्याय -1 झारखण्ड का इतिहास —Pgs. 3-18• परिचय —Pgs. 3• प्राचीन इतिहास —Pgs. 3• पूर्व मध्य काल —Pgs. 5• सल्तनतकालीन झारखण्ड —Pgs. 6• मुगलकालीन झारखण्ड —Pgs. 7• उत्तर मुगलकालीन झारखण्ड —Pgs. 9• झारखण्ड में अंग्रेजों का प्रवेश ..
हिन्दी में स्वयं उसके अंचल में जन्मी-विकसी शास्त्रीय कलाओं पर बहुत कम विचार हुआ है : कथक इस दुखद स्थिति का अपवाद नहीं है। नृत्य विदुषी रश्मि वाजपेयी की कथक पर यह पुस्तक उनके निजी नृत्यानुभव, रसास्वादन और आलोचना-दृष्टि से लिखा गया एक ऐसा वृत्तान्त है जो पिछले चार दशकों में कथक में जो महत्त्वपूर्ण हुआ..
नब्बे के दशक में जिन रचनाकारों ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई और जिन्हें पाठकों ने भी हाथों-हाथ लिया, मैत्रेयी पुष्पा का नाम उनमें प्रमुख है! आज वे हिन्दी साहित्य-परिदृश्य की एक महत्त्वपूर्ण उपस्थिति हैं। उन्होंने हिन्दी कथा-धारा को वापस गाँव की ओर मोड़ा और कई अविस्मरणीय चरित्र हमें दिए। इन चरित्रों ने श..
“सारे दुःख एक तरह की अवधारणाएँ हैं। हम सब अपनी अवधारणाओं की वजह से दुःख भोगते हैं।” यह एक वाक्य जयशंकर की कहानियों के बीच बिजली की कौंध की तरह चमक जाता है—एक तरह से उनकी लगभग सब कहानियों को चरितार्थ करता हुआ।धारणाएँ सच या झूठ नहीं होतीं—वे आत्म-वंचनाएँ होती हैं, मनुष्य को अपने अनूठे सत्य से भटकाकर..
भारतीय जन-जीवन के कुशल कथाशिल्पी प्रेमचन्द की श्रेष्ठ कहानियों के नाट्य-रूपान्तर, जिन्हें सुपरिचित कथाकार चित्रा मुद्गल ने प्रस्तुत किया है। रेडियो और दूरदर्शन से प्रसारित हो चुके ये नाटक स्कूलों के छात्र भी आसानी से खेल सकते हैं। ‘व्यास सम्मान’ से सम्मानित हिन्दी की प्रतिष्ठित कथाकार चित्रा मुद्गल ..
इस ग्रन्थ में आरम्भ से लेकर बारहवीं शती ई. तक ‘प्राचीन भारत में नगर तथा नगर-जीवन’ विषय का विशद् एवं रोचक ऐतिहासिक परिचय पहली बार प्रस्तुत किया गया
है।इस ग्रन्थ के प्रथम तीन अध्यायों में आज से लगभग साढ़े चार हज़ार वर्षों पूर्व ताम्राश्म-काल में प्रथम नगरीय सभ्यता का स्वदेशी उद्भव एवं प्रारम्भिक विक..