किसी भी बिजनेस के फर्श से अर्श तक की यात्रा के बीच कहीं कोई ठहराव नहीं होता; क्योंकि जहाँ ठहरे वहाँ समाप्ति। इसलिए इस यात्रा को पर्वतारोहण की तरह पूरी सावधानी, जिम्मेदारी और निरंतरता के साथ चलाए रखना होता है, तभी एवरेस्ट को फतह किया जा सकता है। इसके बाद यह देखना होता है कि शीर्ष पर कैसे स्थापित रहा ..
हिंदी फिल्में अब इतनी लोकप्रिय हो गई हैं और जीवन का अहम हिस्सा बन गई हैं कि पत्र-पत्रिकाओं में इन्हें खूब जगह मिलती है। दरअसल कृषि-प्रधान भारत जाने कैसे फिल्ममय भारत हो गया है। हमारी रोजमर्रा की भाषा में भी फिल्म के शब्द व मुहावरे आ गए हैं, जैसे किसी भी घटना का हिट या फ्लॉप होना या अस्पताल में उम्रद..
हमारे देश में क्रिकेट की तरह सिनेमा भी एक धर्म है और सिनेमा के सितारे उनके चाहनेवालों के लिए भगवान् हैं। ये सितारे सिनेमा के आविर्भाव के समय से ही हमारे दिलो-दिमाग पर राज करते आए हैं। लोग इनके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानना चाहते हैं। यह पुस्तक सामाजिक सोच को प्रभावित करनेवाले सबसे सशक्त ..
कर्मवीर कभी विघ्न-बाधाओं से विचलित नहीं होते । ध्येयनिष्ठ कर्तव्य- परायण व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं । भाग्य के आश्रित रहनेवाले कभी कुछ नया नहीं कर सकते । इतिहास साक्षी है-संसार में जिन्होंने संकटों को पार कर कुछ नया कर दिखाया, यश और सम्मान के चरमोत्कर्ष को प्राप्त किया । ऐसा ही इतिहास रचा ..
‘भंगी और कम्युनिस्ट पैदा नहीं होते, बना दिए जाते हैं,’ इन्द्र ने बताया था मणि को, जब नक्सलबाड़ी गाँव से उठे एक सशस्त्र आन्दोलन ने कॉलेजों के भीतर घुसकर ’70 की युवा पीढ़ी को छूना शुरू किया था। और, जब तक मणि ने इस वास्तविकता को समझकर आत्मसात् किया, इन्द्र ग़ायब हो चुका था।तीस साल तक लगातार प्रतीक्षा..
हिंदी गद्य के इतिहास में श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी अपनी असाधारण शैली के लिए याद किए जाते रहे हैं। उन्होंने इस पुस्तक के प्रबंधों में उत्पीड़न तथा शोषण से संत्रस्त नारी-जीवन के कटु यथार्थ को एक न्यायाधीश की भाँति निष्पक्षता, तार्किकता एवं निर्भीकता के साथ सोचकर वस्तुनिष्ठ रूप से सामने रखा है। कहीं-कहीं प..
श्री सुरेश कुमार सिंह, प्रशासनिक पद पर होते हुए भी आध्यात्मिक चिन्तन और लेखन में लीन रहते हैं। उनकी आध्यात्मिक चेतना और शोध-दृष्टि स्पृहणीय है। ‘पराशक्ति श्रीसीता’ और उनसे सम्बन्धित स्थल की प्रामाणिक खोज उनके व्यक्तित्व को उजागर करती है। एक प्रशासनिक अधिकारी के गुरुतर दायित्वों का निर्वहन करते हुए इ..
रामायण मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की गाथा मानी जाती है और उन्हीं को महिमामंडित करती है। भारत से लेकर दक्षिण-पूर्व के दूर-दराज के देशों में रामायण अनेक भाषाओं में उपलब्ध है और हरेक में कुछ अन्तर है, लेकिन सभी मुख्यता श्रीराम को केन्द्र में रखकर लिखी गई हैं। शायद यह पहली बार है कि रामायण की कथा सीता क..
मैंने घोषणा की, “मैं पृथ्वी-पुत्री सीता इन दोनों पुत्रों की जननी हूँ। इक्ष्वाकु वंश की ये दोनों संतानें उनके प्रतापी वंश को अर्पित कर मैंने अपना दायित्व पूर्ण किया। असंख्य संतानों की माँ, धरती की अंश अब मैं अपनी माँ के सान्निध्य में जाना चाहती हूँ। चलते-चलते बहुत थक चुकी हूँ, मानो शक्ति क्षीण हो गई..
‘सितम की इन्तिहा क्या है’ पुस्तक का स्थायी-भाव यह है कि मुक्ति-संग्राम की संघर्ष-यात्रा में क्या ‘शब्द’ की कोई असरदार भूमिका रही? इसका सीधा-सपाट उत्तर यही होगा कि नहीं। परन्तु ज़ब्तशुदा साहित्य का इतिहास इस राय की पुष्टि नहीं करता। उस दौर की केवल ज़ब्तशुदा नाट्य-कृतियों की सबल उपस्थिति ही चुनौती बनक..
सीतामढ़ी की वास्तविक उपलब्धि उसके आध्यात्मिक चिंतन में देखी जा सकती है, किंतु संस्कृत और मिथिलाक्षर में लिखित एतत्संबंधी ग्रंथ इधर-उधर बिखरे हैं और दीमकों का भोजन बन रहे हैं। इन पुस्तकों को ढूँढ़ निकालना और सामने लाना कठिन, पर महत्त्वपूर्ण काम है। अगर वह सारी सामग्री प्रकाशित हो जाए तो सीतामढ़ी के व..
सितारे रात में ही चमकते हैं या कहें कि हर सितारे का एक अँधेरा भी होता है। लेकिन दर्शक की नज़र अक्सर सितारों पर ही जाती है, उनके अँधेरों पर नहीं। यह प्रक्रिया हमारी फ़ितरत से भी सम्बन्ध रखती है, और सीमा से भी। शोभा डे इसी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करती हैं। वे उन अँधेरों को भी उघाड़कर देखती हैं, जिन्हे..