इस किताब में एक ऐसे शाइ’र की शाइ’री है जो शहर के बाज़ारों के बीचो-बीच अपने वजूद के सेहरा में ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं। उनकी शाइ’री से ये नुमाया होता है कि उन्होंने वक़्त को अपने जिस्म के चाक पर रखकर उससे अपनी रफ़्तार का हम-रक़्स कर दिया है। वो किसी की मदहोश बाँहों की ख़्वाहिशों के नशे में इ’श्क़ के ल..
आपको गाँवों के पंचायतीराज के बारे में जानने-समझने की जिज्ञासा रहती है। पंचायतें किस प्रकार कार्य करती हैं? इनका ढाँचा कैसा है? ग्राम पंचायत क्या है? हमारे देश में पंचायतीराज की व्यवस्था किस प्रकार की है? ग्रामसभा में क्या होता है? पंचायत विकास के कौन से कार्य करवाती है? कार्यों की निगरानी पंचायत..
यह सुखद है कि राजेश जोशी के लगभग सभी नाटक, लिखने के साथ ही मंचित हुए और मंचीय प्रदर्शनों की सफलता के बाद प्रकाशित हुए। निश्चित रूप से इनकी रचना प्रदर्शन की अपेक्षाओं के अनुरूप हुई है इसलिए इनका पहना प्रभाव तो मंचीयता का ही पड़ता है। नाटक पढ़ते समय पाठक, दर्शक की भूमिका में चला जाता है और भले ही वह स..
इस मुल्क में सब ठीक चल रहा है। नेतागीरी, भाईगीरी, दादागीरी, गुंडागर्दी, चंदा-उगाही चल रही है। माफियागीरी चल रही है। गांधीगीरी-अन्नागीरी चल रही है। तरह-तरह के बेमेल खेल और खिचड़ी गठबंधन चल रहे हैं। हवाला, घोटाला, भ्रष्टाचार चल रहे हैं। अदालतों में मुकदमे चल रहे हैं। ट्वेंटी फोर आवर बे-लगाम चैनल चल र..
भारत आज संसार की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन चुकी है। यह निश्चय ही एक बड़ी उपलब्धि है। पर इसके साथ ही चौंकाने वाले कुछ आँकड़े भी हैं, जैसे सबसे अधिक गरीबों का देश—अनुमानत: 30 करोड़; साक्षरता भयानक रूप से कम—2011 में करीब 27 करोड़ लोग निरक्षर; स्वास्थ्य के मोर्चे पर विश्व के 40 प्रतिशत कुपोषित बच्च..
अनुपम मिश्र हमारे समय के उन बिरले सोचने-समझनेवाले चौकन्ने लोगों में से थे जिन्होंने लगातार हमें पानी के संकट की याद दिलाई, चेतावनी दी, पानी के सामुदायिक संचयन की भारतीय प्रणालियों से हमारा परिचय कराया। उनका इसरार था कि हम लोकबुद्धि से भी सीखें। उनकी असमय मृत्यु के बाद जो सामग्री मिली है उसमें से यह ..
इस पुस्तक में मैंने कोविड-19 महामारी से उपजे ‘सभ्यता के संकट’ के कारणों, परिणामों और समाधानों की विवेचना करने का प्रयास किया है। मेरा जोर, महामारी से उपजे संकट के तात्कालिक उपायों के अलावा मुख्य रूप से स्थायी समाधानों पर है। ये समाधान करुणा, कृतज्ञता, उत्तरदायित्व और सहिष्णुता के सार्वभौमिक मूल्यों ..
इस पुस्तक में मैंने कोविड-19 महामारी से उपजे ‘सभ्यता के संकट’ के कारणों, परिणामों और समाधानों की विवेचना करने का प्रयास किया है। मेरा जोर, महामारी से उपजे संकट के तात्कालिक उपायों के अलावा मुख्य रूप से स्थायी समाधानों पर है। ये समाधान करुणा, कृतज्ञता, उत्तरदायित्व और सहिष्णुता के सार्वभौमिक मूल्यों ..