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Poetry - Aakhiri Ishq Sabse Pahle Kiya

Poetry - Aakhiri Ishq Sabse Pahle Kiya
इस किताब में एक ऐसे शाइ’र की शाइ’री है जो शहर के बाज़ारों के बीचो-बीच अपने वजूद के सेहरा में ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं। उनकी शाइ’री से ये नुमाया होता है कि उन्होंने वक़्त को अपने जिस्म के चाक पर रखकर उससे अपनी रफ़्तार का हम-रक़्स कर दिया है। वो किसी की मदहोश बाँहों की ख़्वाहिशों के नशे में इ’श्क़ के लामुतनाही सफ़र में अपने हम-अ’सरों से काफ़ी आगे निकल आए हैं और उनकी शाइ’री को इ’श्क़ का सफ़र-नामा भी कहा जा सकता है। उनके सहराई बदन का अहाता इतना वसीअ’ है कि इ’श्क़-ओ-हवस के तमाम ज़ावियों ने इस दश्त में अपना घर कर लिया है। नो’मान शौक़ सुब्ह-ओ-शाम अपने दश्त-ए-बदन में अपने मेहबूब को सोचते और लिखते रहते हैं।

Poetry - Aakhiri Ishq Sabse Pahle Kiya

Aakhiri Ishq Sabse Pahle Kiya - by - Rajkamal Prakashan

Aakhiri Ishq Sabse Pahle Kiya -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP751
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP751
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 143p
  • Edition: 2020, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Paper Back
  • Year: 2020
₹ 200.00
Ex Tax: ₹ 200.00