स.ही. वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
(1911-1987)
स.ही. वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
(1911-1987)
कुशीनगर (देवरिया) में सन् 1911 में जन्म। पहले बारह वर्ष की शिक्षा पिता (डॉ. हीरानंद शास्त्री) की देख-रेख में घर ही पर। आगे की पढ़ाई मद्रास और लाहौर में। एम.ए. अंग्रेजी में प्रवेश, किंतु तभी देश की आजादी के लिए एक गुप्त क..
भगवान अटलानी की कृतियों को सन् 1988 से पढ़ता रहा हूँ। उनमें नए युग के विषयों को पकड़ने और कथा के रूप में पिरोने की चामत्कारिक क्षमता है। भाषा में विस्तार के साथ प्रवाह है। कथानक प्रस्तुत करने की उनकी अलहदी व अंदर उतर जानेवाली अनूठी शैली है। जिन चरित्रों की अटलानी सृष्टि करते हैं, जिन कथ्यों को वे कह..
गुड़ की डली, सूप, चँगेरी, अरबी, नारियल इत्यादि विविध प्रकार की चीजें गाड़ी पर लदी थीं। फटिकदा उन चीजों को उतरवाने में व्यस्त थे। फिर भी बोले, ‘‘वसूली का काम कैसा चल रहा है, भाई?’’
एक पल चुप्पी साधने के बाद फिर बोले, ‘‘लगता है, प्रातः भ्रमण को निकल रहे हो?’’
‘‘नहीं’’, मैंने कहा, ‘‘नीरू भाभी की एक च..
चेखव संसार के श्रेष्ठ कहानीकारों में से हैं। उन्होंने अपनी कला को चमत्कारी बनाने के लिए न तो अनोखी घटनाएँ ढूँढ़ीं हैं, न अनूठे पात्रों की सृष्टि की है। उनके पात्र ऐसे हैं, जिनसे अपने नित्य प्रति के जीवन में हम अकसर मिलते हैं। खासतौर से उच्च वर्गों के आडंबरपूर्ण जीवन में, उनके बनावटी शिष्टाचार के नीच..
"ग्यारहवें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार के विजेता प्रसिद्ध तमिल साहित्यकार श्री. पी. वी. अखिलाण्डम साहित्य में 'अखिलन' के नाम से विख्यात हैं। 'अखिलन' का जन्म तिरुचिरापल्ली जिले के एक छोटे-से नगर फेरुलूर में 7 फरवरी, 1923 को हुआ। मेट्रिकुलेशन करते-न-करते वह सम्पूर्ण रूप से देश के स्वतंत्रता संग्राम में ज..
‘डी. एच. लॉरेंस की लोकप्रिय कहानियाँ’ साहित्य के विविध रस समेटे हुए हैं। इस कहानी-संकलन में उनके इस वैशिष्ट्य को परखा जा सकता है। भाग्य और वैभव की लोलुपता मनुष्य को किस त्रासदी तक ले जाती है, इसका साक्ष्य ‘काठ का अनाम घोड़ा’ कहानी है। उनकी चर्चित कहानी ‘अंतर्ध्वनि’ स्त्री-पुरुष के मानवीय संबंध के सं..
‘‘कुबड़ी-कुबड़ी का हेराना?’’
‘‘सुई हेरानी।’’
‘‘सुई लैके का करबे?’’
‘‘कंथा सीबै!’’
‘‘कंथा सीके का करबे?’’
‘‘लकड़ी लाबै!’’
‘‘लकड़ी लाय के का करबे?’’
‘‘भात पकइबे!’’
‘‘भात पकाय के का करबे?’’
‘‘भात खाबै!’’
‘‘भात के बदले लात खाबे।’’
और इससे पहले कि कुबड़ी बनी हुई मटकी कुछ कह सके, वे उसे जोर से ..
राष्ट्रवादी लेखन के प्रमुख हस्ताक्षर गुरुदत्तजी ने ऐसे साहित्य की सृष्टि की है, जिसको पढ़कर इस देश की कोटि-कोटि जनता ने सम्मान का जीवन जीना सीखा है। सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद गुरुदत्तजी ने लगभग सारा समय साहित्य के सृजन में लगाना शुरू किया और मृत्युपर्यंत जुटे रहे। उन्होंने 250 के लगभग पुस्तक..
हरि की प्रिया मीरा वर्षों पूर्व एक साधारण स्त्रा् से एक विशिष्ट महिला बन जाती है। सदियों से नारी कभी परदे में तो कभी बहुपत्नीत्व तो कभी पति प्रताड़ना तो कभी सास, ननद के विचारों तले दबी अपने अस्तित्व की खोज करती रही है। वो प्राणी है—उसे भी सामान्य रूप से जीवन की साँस लेने का अधिकार तो है, पर वंचित रह..
वह पिछली पीढि़यों के बारे में जानती थी। लकड़ी काटनेवाले रईस और पगड़ी पहननेवाली उनकी पत्नियाँ तथा गोल आँखोंवाली उनकी बेटियाँ, जो अन्य दिनों में नीरस, ऊबाऊ एवं व्यापारविहीन शहरों की रौनक बढ़ाती थीं। ठोस वर्गाकार मकान व चौड़ी दीवारवाले बगीचे, हरी-भरी गलियाँ, जिनमें चर्चाओं का बाजार गरम रहता था और स्थान..
हितोपदेश की कहानियाँ भारतीय परिवेश को ध्यान में रखकर लिखी गई उपदेशात्मक कथाएँ हैं, जिसके रचनाकार नारायण पंडित हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यंत सरल, रोचक, प्रेरक और सुग्राह्य हैं। विभिन्न पशु-पक्षियों पर आधारित तार्किक कहानियाँ इसकी खास विशेषता है, जिनकी समाप्ति किसी शिक्षाप्रद बात से होती है।
इस पुस्त..