दिनकर आधुनिक हिन्दी कविता के उत्तर–छायावादी व नवस्वच्छन्दतावादी दौर के सर्वश्रेष्ठ कवि थे। कवि–रूप में उनकी दो विशेषताएँ थीं। एक तो यह कि उनकी कविता के अनेक आयाम हैं और दूसरी यह कि उनमें अन्त–अन्त तक विकास होता रहा। ‘प्रण–भंग’ से लेकर ‘हारे को हरिनाम’ तक की काव्य–यात्रा जितनी ही विविधवर्णी है, उतनी ..
आदिवासी जन-जीवन पर मँडराते सभ्यता-प्रेषित ख़तरों को पहचानना, सीधे-सरल ढंग से उन्हें शब्दों में अंकित करना और नागर केन्द्रों से जंगलों-पहाड़ों की तरफ़ बढ़ते विकास की आक्रामक मुद्राओं का सशक्त प्रतिवाद गढ़ना जसिंता केरकेट्टा की कविताओं की विशेषताएँ रही हैं। उनकी कविताएँ अपनी सहज और संवादपरक मुद्रा में..
‘ईश्वर भी परेशान है’ विष्णु नागर की व्यंग्यधर्मिता का रोचक उदाहरण है। समकालीन हिन्दी व्यंग्य की गहमागहमी में उनकी शैली अलग से पहचानी जाती है। सामाजिक परिवर्तन के भीतर सक्रिय अन्तर्विरोधों की पहचान, राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं के मलिन मुख और निजी जीवन में नैतिकता के चक्रव्यूह आदि को बूझने में विष्णु न..
‘सर्वोत्तम महापुरुष’ के नाम से विख्यात ईश्वरचंद्र विद्यासागर न केवल विद्यासागर, अपितु करुणासागर भी थे। अपने हितों की उपेक्षा कर सदैव दूसरे व्यक्ति का हित साधना, स्वयं को सुख-सुविधाओं से दूर रखकर दूसरे के कष्ट दूर करना जैसी बातें हमें अतिशयोक्ति भले ही जान पड़ें, किंतु विद्यासागरजी के जीवन की ये ..
‘ईश्वर की अध्यक्षता में’ संग्रह जीवन और अनुभव के अप्रत्याशित विस्तारों में जाने की एक उत्कट कोशिश है। पिछले चार दशकों से अपने काव्य-वैविध्य, भाषिक प्रयोगशीलता के कारण जगूड़ी की कविता हमेशा अपने समय में उपस्थित रही है और उसमें समकालीनता का इतिहास दर्ज होता दिखता है। समय और समकाल, भौतिक और आधिभौतिक, प्..
ईश्वर की आत्मकथा दरअसल एक नजरिया है, जिसे अपनाकर कोई भी इनसान कुदरत और ईश्वर के साथ अपने रिश्ते को सभी प्रकार के पूर्वग्रहों से मुक्त होकर महसूस कर सकता है। यह किताब किसी धर्म के आधार पर नहीं बल्कि जीवन के परिप्रेक्ष्य में ईश्वर की एक संतुलित और साश्चर्यपूर्ण अवधारणा को अभिव्यक्ति देती है।
ईश्वर की..
नई शैली में नई बात कहने के लिए ईश्वर की कहानियाँ साहित्य की दुनिया में चर्चित हैं। लेकिन इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ये कहानियाँ जहाँ भी छपी हैं, इन्हें पाठकों ने पसन्द किया है। इन पाठकों में बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी शामिल हैं। अपने ही ढंग की इन छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से हर पाठक अपने आस..
‘ईश्वर क्या है?’ जे. कृष्णमूर्ति की चर्चित और लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है। यह पुस्तक उस पावन परमात्मा के लिए हमारी खोज को केंद्र में रखती है। ‘‘कभी आप सोचते हैं कि जीवन यांत्रिक है तथा कठिन अवसरों पर, जब दुख और असमंजस घेर लेते हैं तो आप आस्था की ओर लौट आते हैं, मार्गदर्शन और सहायता के लिए किसी पर..
कितनी शुभ है यह इच्छा, ईश्वर से मुलाकात करने की। क्या आपमें भी ऐसी इच्छा जगी है कि किसी दिन आप ईश्वर से मिल पाओ और बातें कर पाओ? यदि हाँ, तो देर किस बात की है? देर है आपके अंदर प्रार्थना उठने की।
यह प्रार्थना थी एक बच्चे की, जिसने मंदिर में अपने माता-पिता को ईश्वर की मूरत के आगे सिर झुकाते हुए देखा..
‘ज्ञान दर्शन’ व ‘तर्कशास्त्र : एक आधुनिक परिचय’ के बाद लेखकद्वय की यह तीसरी पुस्तक है। इसकी विषय-वस्तु तत्त्वदर्शन या तत्त्वमीमांसा की कुछ पारम्परिक समस्याएँ हैं, जिनकी विशद विवेचना दर्शन के विद्यार्थियों तथा साधारण जन, दोनों के लिए रुचिकर हो सकती है।लेखकद्वय की यह चेष्टा रही है कि दुरूह व गूढ़ दार..
प्रकृति एक न्यायपूर्ण और समानता–आधारित समाज की स्थापना के लिए प्रेरणा और आधार प्रदान करती है। सभ्यता के तक़ाज़े जहाँ विभाजन और असमानता को बढ़ावा देते हैं, प्रकृति का मूल स्वर साहचर्य और जोड़ने का होता है। विश्व के जिन हिस्सों में प्रकृति अपने अक्षत रूप में आज भी हमें आश्वस्ति देती है, उनमें एक कैरेबिय..
प्रेमचन्द के बाद हिन्दी कथा-साहित्य में रेणु उन थोड़े-से कथाकारों में अग्रगण्य हैं जिन्होंने भारतीय ग्रामीण जीवन का उसके सम्पूर्ण आन्तरिक यथार्थ के साथ चित्रण किया है। स्वाधीनता के बाद भारतीय गाँव ने जिस शहरी रिश्ते को बनाया और निभाना चाहा है, रेणु की नज़र उससे होनेवाले सांस्कृतिक विघटन पर भी है जिसे..