‘‘मराठी में पहली बार काफ़ी ऊँचे दर्जे का सांगीतिक सैद्धान्तिक निरूपण।’’ —डॉ. अशोक रानडे ‘‘इस ग्रन्थ ने हिन्दुस्तानी संगीत की सैद्धान्तिकी को निश्चित रूप से आगे बढ़ाया है। वामनराव जी का यह कार्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।’’ —डॉ. बी.वी. आठवले ‘‘घरानेदार गायकी’ ग्रन्थ शास्त्रीय संगीत क..
प्रस्तुत पुस्तक 'हिन्दी, उर्दू और हिन्दुस्तानी' भाषा समस्या पर लेखक के विचारों का संकलन है। हिन्दी उर्दू या हिन्दुस्तानी के नामभेद और स्वरूपभेद के कारणों पर विचार हो चुका। इनकी एकता और उसके साधनों का निर्देश भी किया जा चुका। जिन कारणों से भाषा में भेद बढ़ा, उनका दिग्दर्शन भी, संक्षेप और विस्तार के सा..
"ग़ज़ल के इतिहास में जाने की ज़रूरत मैं महसूस नहीं करता। साहित्य की हर विधा अपनी बात और उसे कहने के ढब से, संस्कारों से फ़ौरन पहचानी जाती है। ग़ज़ल की तो यह ख़ासियत है। आप उर्दू जानें या न जानें, पर ग़ज़ल को जान भी लेते हैं और समझ भी लेते हैं। जब 13वीं सदी में, आज से सात सौ साल पहले हिन्दी खड़ी बोली..
भारत के प्रसिद्ध विधिवेत्ता तथा सामयिक समस्याओं के विश्लेषक नानी पालखीवाला की इस महत्त्वपूर्ण कृति में वर्तमान भारत की विविध राजनैतिक, संवैधानिक, आर्थिक समस्याओं पर गहराई और गंभीरता से विचार करके उनके समाधान प्रस्तुत किये गये हैं। उन्होंने अयोध्या, कानून और न्याय, विविध राज्यों में राज्यपालों के व्य..