रघुवीर सहाय का जीवन-भर का काम प्रभूत और बहुमुखी है, जैसा कि इस जीवनी से एक बार और स्पष्ट होगा। इतना बहुमुखी और इतना मौलिक है कि सब कुछ पर यहाँ लिखा भी नहीं जा सका लेकिन उनके सोच के दायरे में आनेवाली कुछ चीज़ों का संकेत और सार यहाँ है, जिन पर अभी तक दुर्भाग्य से हमारा ध्यान नहीं गया है। मेरे ख़याल से ..
डॉ.सी.पी. ठाकुर की ‘आशा और विश्वास : एक यात्रा’ उत्तर बिहार के एक गाँव में, एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुए व्यक्ति की कहानी है। बचपन में वह अकसर बीमार रहते; हाई स्कूल में जाकर उन्हें ज्ञात हुआ कि वे कालाजार नामक रोग से पीडि़त हैं। बावजूद इसके, उन्होंने डॉक्टरी की शिक्षा प्राप्त की और लंदन और एड..
पुस्तक के बारे में :
प्रस्तुत पुस्तक ‘सामान्य नर्सिंग एवं मिडवाइफरी (जी. एन. एम.)’ परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। पुस्तक को चार भागों सामान्य विज्ञान, सामान्य ज्ञान, जनरल अंग्रेजी तथा प्रैक्टिस सेट्स में नियोजित किया गया है। सहज सरल शब्दों में प्रत्येक विषय पर क्रमबद्..
भारत में सूफी काव्य-परंपरा काफी समृद्ध रही है। मुसलमान कवियों ने पंजाब में सूफी काव्य की बुनियाद रखी, जिनमें शेख फरीद सर्वोपरि हैं। उनका पूरा नाम फरीदुद्दीन मसऊद शक्करगंज है। दरअसल, शेख फरीद से ही भारतीय सूफी काव्य का आरंभ माना जाता है। फरीद का जन्म हिजरी 569 अर्थात् 1173 ईसवी में हुआ। उस दिन मोहर..
रोचक अन्दाज़ में लिखा गया उपन्यास 'बेदावा' आँखों से न देख पानेवालों, ट्रांसजेंडरों और दग़ाबाज़ों की अनदेखी दुनिया के इश्क़ का फ़साना है। हमारे दौर की मज़हबी नफ़रतों और दुश्वारियों से भिड़ते उन लोगों की कहानी है जो हार नहीं मानते। यह किताबों और रौशनियों की कहानी है। इश्क़ का ऐसा क़िस्सा है जो आदमी और और..
भाग्य-रेखा' भीष्म साहनी का पहला कहानी-संग्रह है, जिसके साथ उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में क़दम रखा था। वर्ष 1953 में प्रकाशित इस संग्रह ने उन्हें साहित्य-संसार में अपनी एक पहचान दी; जिसके माध्यम से हिन्दी समाज ने कथा में सहज प्रवाह की शक्ति को महसूस किया।भीष्म जी की कहानियों का ‘मैं’ भी कभी लेखक ..
एक प्रचलित मान्यता के मुताबिक भारत-यूरोपीय संघ के संबंध को ब्रिटिश प्रिज्म के जरिए बेहतर ढंग से देखा जा सकता है। यह मान्यता भारत में सिकंदर के आगमन और रोमन साम्राज्य के भारत के साथ व्यापार जैसे ऐतिहासिक प्रमाण को नजरअंदाज करती है। हाल के समय में सांस्कृतिक शख्सियत सत्यजित रे कहीं और के बजाय पेरिस मे..
विष्णु नागर का व्यंग्य अपने समय के अन्य व्यंग्यकारों से इस मायने में अलग है कि वे अपनी बात की नोक को तीखा करने के लिए उस लाघव का सहारा नहीं लेते जिसके कारण व्यंग्य-रचना कई बार अनेकानेक पाठकों के लिए अबूझ और कभी-कभी आहतकारी भी हो जाती है। वे अपने सामने उपस्थित स्थिति-परिस्थिति की व्यंग्यात्मकता और वि..
भारत में भाषाओं , प्रजातियों , धर्मों , सांस्कृतिक परम्पराओं एवं भौगोलिक स्थितियों का असाधारण एवं अद्वितीय वैविध्य विद्यमान हैं । विश्व के इस सातवें विशालतम देश को पर्वत तथा समुद्र शेष एशिया से अलग करते हैं जिससे इसकी अपनी अलग पहचान है , अविरल एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है ; राष्ट्र की अखण्डित मान..