व्यक्तित्व का विकास चरित्र से होता है और चरित्र से ही मनुष्य की पहचान होती है। इसलिए चरित्र-निर्माण सबके लिए महत्त्वपूर्ण है। यह पुस्तक उपदेशात्मक न होकर व्यावहारिक है और व्यक्तित्व व चरित्र-निर्माण के लिए प्रेरणा-स्रोत के समान है। हिन्दी के यशस्वी लेखक सत्यकाम विद्यालंकार की एक अत्यंत लोकप्रिय पुस्..
एक कहावत है—
पैसा गया, तो कुछ गया; स्वास्थ्य गया, तो बहुत कुछ गया पर अगर चरित्र गया तो सबकुछ गया।
अतः आवश्यक है कि व्यक्ति
अपने चरित्र को निर्मल व स्वच्छ रखे; उसके संरक्षण-संवर्धन के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे। व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष है ‘चरित्र’।
इस दृष्टि से इस प..
नारी का शोषण, समर्पण और भाव-जगत तथा पुरुष समाज में उसका चारित्रिक मूल्यांकन—और इससे उभरनेवाला अन्तर्विरोध ही इस उपन्यास का केन्द्रबिन्दु है। शरतचन्द्र ने नारी-मन के साथ-साथ इस उपन्यास में मानव-मन की सूक्ष्म प्रवृत्तियों का भी मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है, साथ ही यह उपन्यास नारी की परम्परावादी छवि क..
• हमारी माँ सारदा देवी और हमारे ठाकुर श्रीरामकृष्ण विनय की ऐसी ही मूर्तियाँ हैं, जिनमें विशालता का सागर लहराता है और उच्चतम आदर्श का हिमालय अपनी सारी गरिमा के साथ उनके हर स्पंदन में प्रकट होता है।
• माँ की कृपा से मुझे अपनत्व से भरे अजनबी मिले। पूर्व संबंधियों में तो अनेक पूर्वग्रह होते हैं, किंतु ..
अभी- अभी मेरे- सामने गिरगिट नाम का एक जंतु उभरा है । वह बालिश्त- भर का आकार लिये, बेरी के पेड़ की पतली- सी टहनी से चिपका हुआ है । मैं उसकी तरफ ध्यान से देखता हूँ । यह क्या? कभी उसके शरीर का हर हिस्सा लाल हो जाता है, कभी हरा, कभी पीला । यह हर पल रंग कैसे बदल लेता है? मैं अपने आप से यह प्रश्न बार-बार..