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उपन्यास - Ek Sadhvi Ki Charitra Katha

उपन्यास - Ek Sadhvi Ki Charitra Katha
• हमारी माँ सारदा देवी और हमारे ठाकुर श्रीरामकृष्ण विनय की ऐसी ही मूर्तियाँ हैं, जिनमें विशालता का सागर लहराता है और उच्चतम आदर्श का हिमालय अपनी सारी गरिमा के साथ उनके हर स्पंदन में प्रकट होता है। • माँ की कृपा से मुझे अपनत्व से भरे अजनबी मिले। पूर्व संबंधियों में तो अनेक पूर्वग्रह होते हैं, किंतु जीवन के लंबे सफर में जो लोग यूँ ही टकरा जाते हैं, वे कई मायनों में हमारे सच्चे मित्र और हितैषी होते हैं। हाल के वर्षों में मेरी सबसे ताजा स्मृति उन लोगों की है, जो माँ के काम से मेरे संपर्क में आए। • लगता है, रात बहुत लंबी है। दूर तक अँधेरा-ही-अँधेरा है। चाँद की रोशनी ने अँधेरे की तीव्रता को बहुत बढ़ा दिया है। एक ओर चाँद, दूसरी ओर अँधेरा। एक साथ ही पूनम और अमावस्या हैं। (वर्तमान पुस्तक से संदर्भित)अनुक्रम   प्राकथन — 7 दीपाली — 86 आमंत्रण — 9 रीना, शशि, मधुबाला और अवंतिका — 86 दवा की दावाग्नि — 15 हमारी लक्ष्मी-रश्मिजी — 87 मेरी जिंदगी — 16 दीपा की दृष्टि — 87 मेरी अम्माँ — 17 संसार-समुद्र को पी जानेवाले आधुनिक अगस्त्य — 87 मेरे बाबा — 19 बबली — 88 शैल जी — 20 मेरा वादा — 89 छोटी सी तमन्ना — 21 सूक्ष्म जगत् की यात्रा — 90 सुशीलाजी — 22 शरीर शव है — 91 मैं कौन हूँ — 22 संन्यास की अनिवार्यता — 93 मुन्नूजी — 23 जीतेजी मर जाना — 93 मेरी गुड़िया — 24 हमारे ठाकुर — 94 सरोजजी — 25 विवेकानंद केंद्र के अश्विनी — 95 पाशबद्ध जीव — 26 हिमाचल-दर्शन — 96 स्त्री — 27 शिवरामजी — 97 प्रेम-आत्मा का विज्ञान — 27 नित्य क्रांति का सृजन — 98 मेरी माँ — 28 मेरी जीवन यात्रा में तीर्थयात्राएँ — 98 मैं सदा रहूँगी — 29 शैलजी की शालीनता — 101 माँ की वाणी — 31 अँधेरे का सूर्य — 102 अमरकथा — 33 मेरे कितने संसार — 103 प्रफुल्ल महाराज — 34 संसार का मनोविज्ञान — 104 प्रभु महाराज — 34 दो समानांतर रेखाएँ : संसार का सत्य और सत्य का संसार — 104 मेरी बातें — 35 संसार का समाजशास्त्र — 105 मेरा पगला बेटा — 36 हबू — 105 मेरी बेटी — 37 सेवाभावी विक्रम — 106 मेरे पति और उनका परिवार — 37 एक थी सुरत्ना — 106 मेरी जिंदगी का अर्थ — 39 बाबाजी — 107 मेरा वैवाहिक जीवन — 40 घर से बाहर एक घर — 108 विरोधों के बीच सीधी राह — 41 एक अनौपचारिक संबंध — 109 श्री गुरुदेव ने मुझे ग्रहण किया — 43 जब बच्चों ने बड़ों को मिलाया — 110 अपनापन — 46 मनुष्य समाज का गौरव — 111 गुरुदेव की दृष्टि — 47 प्रकृति के सौंदर्य में मनुष्य के मुलम्मे — 111 अद्वैत ही सत्य है — 47 शरीर और संसार सच नहीं है — 113 भगवान् बुद्ध का स्मरण — 48 बच्चे को विचार और विकास की आजादी — 113 शिशु की सरलता — 49 सबके अपने अपने संसार — 114 आनंद के पाँच दिन — 49 क्षण में समग्र दर्शन — 115 देह धरे करू यह फल भाई — 50 उलटी-पुलटी यादों में पाठक, रामशंकर और बंशीधर — 116 नाम की महिमा — 51 एक रात की कहानी — 118 मुझे भगवान् मिले — 53 ठहरे सूरज के नाम प्रकाश में विलुप्त धरती का सपना — 118 सत्संग की शति और सीख — 54 माँ का घर — 119 सेतु के संबंध में — 54 जीवन की भाषा — 120 समय की सरहदों के पार — 58 पल में प्रलय — 120 नारी लोक में पुरुष अधिनायकतंत्र — 58 चेतना सारी क्रियाओं की जननी है — 121 मेरा चरित्र अमिट है — 61 जीवन का सार — 123 निर्भयता के प्रहर में मेरा प्रहार — 61 मेरे जीवन-ग्रंथ का सर्वम अध्याय — 124 साधुन संग बैठि-बैठि — 63 मठ मायके जैसा — 125 कलसी की कहानी — 63 श्रीमती अनीता दा एवं श्रीमती गीता चटर्जी का योगदान — 125 सहो, सहो, सहो — 64 श्रीमती श्यामा मेहता — 126 तराजू की तुला पर जीवन और जल्दबाजी — 65 सबसे बड़ी चुनौती — 126 स्वामी मुतिनाथानंदजी — 66 माँ स्वयं लक्ष्मी हैं — 127 स्वामी सुजयानंदजी — 67 शरीर का सर्वम उपयोग-सेवा — 128 मेरी मूर्खता — 67 जिंदगी के चार दिन — 128 मन के महल में माँ का चमत्कार — 69 धन्य हैं वे, जो माँ के काम आए — 129 विश्वरूप दर्शन — 70 घनश्याम महाराज की रसोई — 131 रामकृष्ण मठ के संन्यासी और ब्रह्मचारी — 71 मेरी कल्पना साकार हुई — 131 मोहन महाराज — 72 जब हमारे पावँ थिरके — 133 मैं अमृत हूँ — 73 मैं कृतार्थ हुई — 133 मेरा सौभाग्य — 74 साधु संग — 135 कमलेश महाराज और श्रेयस — 75 एक आदर्श साधु — 136 पति-पत्नी में परस्पर विरोधी धर्म के दो रूप — 76 ‘श्री रामकृष्ण धाम’ नाम सार्थक हुआ — 138 बाबा-बेटी का संबंध, एक झलक — 79 घर — 139 मेरी मंजिल — 80 सुंकी और सेतु — 141 सारदा संघ की मेरी बहनें — 81 सेतु और सना — 143 विषयानंद से परहेज — 81 बातों की डोर में बँधी माँ और मैं — 144 श्री रामकृष्ण धाम में प्रवेश — 82 मेरे चिंताकुल प्रश्नों का मौन उार — 145 मुरादाबाद का उपहार — 83 सुख-दु:ख की साथिन — 147 गहनों की पोटली — 84 जिंदगी एक निरंतरता है — 148 भगवान् का घर — 85 इति नहीं दस्तावेज़ अमर जीवन का — 151

उपन्यास - Ek Sadhvi Ki Charitra Katha

Ek Sadhvi Ki Charitra Katha - by - Prabhat Prakashan

Ek Sadhvi Ki Charitra Katha -

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  • Stock: 10
  • Model: PP706
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP706
  • ISBN: 9789386054210
  • ISBN: 9789386054210
  • Total Pages: 152
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2017
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00