भारतीय-साहित्य की विलक्षण बुद्धिजीवी डॉ. प्रभा खेतान दर्शन, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, विश्व-बाज़ार और उद्योग-जगत की गहरी जानकार थीं और सबसे बढ़कर थीं—सक्रिय स्त्रीवादी लेखिका। उन्होंने विश्व के लगभग सारे स्त्रीवादी लेखन को घोट ही नहीं डाला, बल्कि अपने समाज में उपनिवेशित स्त्री के शोषण, मनोविज्ञान, मु..