अहंकार की भक्ति से धन का नाशक्रियाहीन बातों से ज्ञान का नाशदान दिए बिना दानी कहलाना केश बिना शृंगार जैसादृढ़ताहीन भक्ति तलहीन कुंभ में पूजा जल भरने जैसीमारय्यप्रिय अमरेश्वरलिंग को यह न छूनेवाली भक्ति है॥कायक की कमाई समझ भक्त दान की कमाई सेदासोह कर सकते हैं कभी?इक मन से लाकर इक मन से ही..
2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से अलंकृत नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। 1947 के बाद के हिन्दी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है। उन्होंने प्राचीन महाकाव्यों को आधुनिक पाठकों के लिए गद्य रूप में लिखने का एक नया चलन शुरू किया और पौराणिक कथानकों पर अने..
मैं कट सकता हूँ, मगर झुक नहीं सकता,’ यदि कोई इस विचारधारा में बह रहा है तो समझ लें, उसका पतन निश्चित है। ऐसे इनसान का अज्ञान चरम सीमा पर है। छोटे और अस्थायी लाभ में अटककर, वह सबसे मुख्य (पृथ्वी) लक्ष्य से दूर जा रहा है। ऐसी गलती किसी से न हो, इसलिए ‘अभिमान को अभी जान’ मंत्र द्वारा अहंकार को जड़ स..
Narendra Modi is well known as a charismatic politician and a successful Chief Minister of Gujarat but very few people know that he is also a Writer. Written when Narendra Modi was a youth, the stories in this book reveal a hitherto unknown, sensitive and literary facet of his personality. These sto..
अभिव्यक्ति के प्रत्यक्ष और सबसे सशक्त माध्यम 'भाषण' के मनोविज्ञान पर यह उपयोगी व महत्त्वपूर्ण पुस्तक न केवल विद्यार्थियों के लिए ज़रूरी है, बल्कि उन उच्च पदासीन लोगों के लिए भी अनिवार्य है जो भाषण देने से परहेज़ करते हैं। वस्तुतः भाषण एक सकारात्मक मनःस्थिति से पैदा होता है जिसके संगठन में दृढ़ इच्छा..
आप विद्यार्थी हैं, अध्यापक हैं, लेखक हैं, पत्रकार हैं या आम पाठक—यदि हिंदी पढ़ने-लिखने में आपकी थोड़ी भी रुचि है तो आपके काम की कुछ-न-कुछ मानसिक खुराक इस पुस्तक में जरूर मिलेगी। यों यह पुस्तक छात्र समुदाय को विशेष रूप से संबोधित है, पर अपने पूरे कलेवर में प्रायः हर वर्ग के हिंदी-प्रेमियों के लिए उपय..
डा. मुल्कराज आनंद की गणना 20वीं सदी के उन महान भारतीय लेखकों में की जाती है जिन्होंने अंग्रेज़ी में लिखते हुए भी देशी सरोकारों को नहीं भुलाया और चाय बगानों में काम करने वाले मज़दूरों, कुलियों, अछूतों को अपने लेखन का विषय बनाया। इस दृष्टि से उन्हें चार्ल्स डिकेन्स और प्रेमचन्द की लीक का साहित्यकार मा..
हर तरह के शोषण के प्रति विद्रोह दरअसल लेखक के ख़मीर में उसकी ख़ुदादाद सलाहियतों के साथ गुँथा होता है। उसका विद्रोह हर उस बन्धन से होता है जो इंसान के दु:ख का कारण बने। वह बाहर की भौतिक दुनिया से ज़्यादा इंसान के अन्दर फैले भावना के संसार को समझने में डूबा होता है और उसी की वकालत करता है और अपने लेखन..
पिछले पन्द्रह-बीस साल से जो माहौल बन रहा था, उससे यह ध्वनि निकल रही थी कि मध्यपूर्वी देशों को सख़्त ज़रूरत है बदलाव की, शिक्षा की और लोकतंत्र की। मगर जो बात छुपी हुई थी, इस प्रचार-बिगुल के पीछे कि वहाँ के बुद्धिजीवियों, रचनाकारों, कलाकारों और आम आदमी पर क्या गुज़र रही है और इन देशों के हाकिम महान शक..