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संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Udate Chalo, Udate Chalo

संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Udate Chalo, Udate Chalo
प्राचीन ऋषियों ने कहा था—‘चरैवेति, चरैवेति’—चलते चलो, चलते चलो; किंतु आज का मानव कहता है—‘उड़ते चलो, उड़ते चलो’। बेनीपुरीजी की इस यात्रा-वृत्तांत पुस्तक में यह वाक्य पूर्णरूपेण चरितार्थ होता है। वह जहाँ-जहाँ गए, पढ़ने से ऐसा लगता है मानो हम भी उनके साथ-साथ ही थे। विदेशों में—यहाँ से वहाँ, वहाँ से वहाँ; निरंतर उड़ते चलो, उड़ते चलो। बेनीपुरीजी ने अपनी इस पुस्तक में अपनी यात्राओं का ऐसा सूक्ष्म और सजीव वर्णन किया है कि पढ़कर ऐसा लगता है मानो वह सब हमारे ही देखे-सुने-भोगे का वर्णन हो। यात्रा के एक-एक पड़ाव का, एक-एक क्षण का ऐसा कलात्मक वर्णन बहुत ही कम पढ़ने को मिलता है। जहाँ-जहाँ वे गए वहाँ की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा व रीति-रिवाजों का अत्यंत आत्मीयतापूर्ण वर्णन—ऐसा, जो पाठकों के लिए निश्चय ही जानकारीपरक सिद्ध होगा।

संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Udate Chalo, Udate Chalo

Udate Chalo, Udate Chalo - by - Prabhat Prakashan

Udate Chalo, Udate Chalo -

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  • Stock: 10
  • Model: PP2877
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2877
  • ISBN: 9789352663934
  • ISBN: 9789352663934
  • Total Pages: 176
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 350.00
Ex Tax: ₹ 350.00