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संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Dweetiyonasti

संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Dweetiyonasti
‘‘अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है। छोटे-छोटे मोती जैसे उसके शीतल तुहीन कणों को, मानसरोवर के उन स्वर्ण‌िम कमलाऐं पर गिरते देखा है, बादलों को घिरते देखा है। तुंग हिमालय के कंधों पर छोटी-बड़ी कई झीलें हैं, उनके श्यामल नील सलिल में समतल देशों से आ-आकर पावस की उमस से आकुल तिक्‍त-मधुर विषतंतु खोजते हंसों को तिरते देखा’’ —नागार्जुन स्फटिक-निर्मल और दर्पन-स्वच्छ, हे हिम-खंड, शीतल औ समुज्जवल, तुम चमकते इस तरह हो, चाँदनी जैसे जमी है या गला चाँदी तुम्हारे रूप में ढाली गई है। —हरिवंशराय बच्चन

संस्मरण : यात्रा वृतांत : पर्यटन - Dweetiyonasti

Dweetiyonasti - by - Prabhat Prakashan

Dweetiyonasti -

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  • Stock: 10
  • Model: PP2855
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2855
  • ISBN: 9789350483138
  • ISBN: 9789350483138
  • Total Pages: 124
  • Edition: Edition 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2013
₹ 750.00
Ex Tax: ₹ 750.00