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लेख : निबंध : पत्र - Hindu Dharma Mein Vaigyanik Manyatayen

लेख : निबंध : पत्र - Hindu Dharma Mein Vaigyanik Manyatayen
भारतीय जनमानस में वैदिक धर्म का जो वर्तमान स्वरूप आजकल में देखने को मिलता है, उसे आज का तर्कशील और वैज्ञानिक दृष्टि रखनेवाला मानव अंधविश्वास, आस्था व रूढि़वाद की संज्ञा देता है। प्रायः देखा जाता है कि पढ़े-लिखे लोग, जो अपने आपको बुद्धिजीवी मानते हैं, अपनी परंपराओं, रीति-रिवाजों, मान्यताओं के वर्तमान स्वरूप की या तो उपेक्षा करते हैं या उन्हें अपने व्यंग्य और मनोरंजन का विषय बनाते हैं। ऐसे अनेक लोगों का तो यह भी मानना है कि हमारी धार्मिक मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार ही नहीं है। परंतु यह उनके अज्ञान का परिचायक है। वास्तव में हमारे धर्म का एक सुदृढ़ वैज्ञानिक आधार है। जरूरत बस, उसके मूल और मर्म को समझने की है। प्रस्तुत पुस्तक में सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति से जुड़ी मान्यताओं, परंपराओं, रीति-रिवाजों एवं धर्म-कर्म के पीछे जो गहरा विज्ञान है, उसे बड़े ही सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया गया है। इसके अध्ययन से जन सामान्य का अंध-विश्वास दूर हो और वे तथा भावी पीढि़याँ अपनी मान्यताओं एवं धरोहर पर गर्व कर सकें, तो इस पुस्तक का लेखन-प्रकाशन सार्थक होगा। 

लेख : निबंध : पत्र - Hindu Dharma Mein Vaigyanik Manyatayen

Hindu Dharma Mein Vaigyanik Manyatayen - by - Prabhat Prakashan

Hindu Dharma Mein Vaigyanik Manyatayen -

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  • Stock: 10
  • Model: PP2374
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP2374
  • ISBN: 9789386870803
  • ISBN: 9789386870803
  • Total Pages: 152
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2021
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00