राजनीति : सामाजिक - Ubharte Bharat Ki Tasveer
1990 के दशक से भारत कई बड़े सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक बदलावों का साक्षी रहा है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और विविधताओं से भरे राष्ट्र की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर अब स्वतंत्रता के पैंसठ साल बाद भारत को उभरती हुई महाशक्ति माना जा रहा है। इस विशद और गंभीर पुस्तक में आधुनिक भारत को आकार देनेवाले मुख्य विचारों का विश्लेषण करते हुए देश के बेहतरीन और विचारशील चिंतकों में से एक नंदन नीलेकनी ने हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य पर मौलिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
वे बताते हैं कि कैसे अपनी अच्छी मंशाओं और भव्य आदर्शवाद के बावजूद भारत की शुरुआती समाजवादी नीतियों ने विकास में बाधा डाली और लोकतंत्र को कमजोर किया; आम धारणा के विपरीत देश की विशाल और शक्तिशाली युवा पीढ़ी कैसे अब इसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई है; कैसे सूचना प्रौद्योगिकी न सिर्फ व्यापार में, बल्कि ज्यादातर भारतीयों की रोजमर्रा की जिंदगी में क्रांति ला रही है और कैसे तेजी से हो रहा शहरीकरण हमारे समाज और राजनीति को बदल रहा है।
इसी के साथ उन्होंने भविष्य के लिए भी कुछ प्रश्न उठाए हैं—वैश्विक शक्ति बनने पर भारत कैसे विकास के पूर्व प्रतीकों द्वारा की गई गलतियों से बचेगा? क्या खुले बाजार में और ज्यादा पहुँच इस असाधारण विकास को प्रेरित करती रहेगी? और देश की युवा पीढ़ी इस विकास से किस रूप में प्रभावित होगी?
एक समर्थ, सबल, शक्तिसंपन्न, स्वावलंबी भारत के स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती चिंतनपरक कृति। अनुक्रमणिकाआभार —Pgs. VIIपरिचय१. संयोग से बने एक उद्योगपति की कष्ठलम से —Pgs. ३भाग १ : भारत की नई कल्पना२. नए विचार —Pgs. ३५३. भारतीयों की नजष्ठर से भारत —Pgs. ३७४. उपेक्षा से गले लगाने तक भारत में उद्यमी —Pgs. ६०५. अमर भाषा अंगेजष्ठी का उत्थान, पतन और उदय —Pgs. ८१६. दुश्मन से दोस्त तक —Pgs. ९८७. घर और संसार —Pgs. १२१८. प्रजातंत्र की गहराई —Pgs. १४४९. एक व्याकुल देश —Pgs. १६७भाग २ : प्रस्थान को तैयार१०. उन्नत विचार —Pgs. १७१११. ‘स’ से स्कूल भारतीय कक्षाओं की चुनौतियाँ —Pgs. १७४१२. हमारा बदलता स्वरूप शहरों में भारत —Pgs. १९६१३. लक्ष्य से दूरी —Pgs. २१८१४. मिटती दूरियाँ हमारा उभरता हुआ एकल बाजष्ठार —Pgs. २४४१५. समय सीमा को आगे बढ़ाना —Pgs. २६९भाग ३ : शब्द संघर्ष१६. वैचारिक टकराव —Pgs. २७३१७. शोर और उत्तेजना हमारी प्रमुख चुनौतियाँ —Pgs. २७६१८. नौकरियों की मारा-मारी —Pgs. ३००१९. रेत से बने संस्थान हमारे विश्वविद्यालय —Pgs. ३१८२०. एक अच्छा संतुलन —Pgs. ३३७भाग ४ : आभास से भी पास२१. पूर्वानुमान संबंधी विचार —Pgs. ३४३२२. भारत में आईसीटी बंगलौर एक से देश एक तक —Pgs. ३४७२३. बदलती महामारियाँ भूख से हृदय रोग तक —Pgs. ३६८२४. हमारी सामाजिक असुरक्षाएँ —Pgs. ३८७२५. संकीर्णता भारत की पर्यावरणीय चुनौती —Pgs. ४०६२६. ऊर्जा का खेल अपनी ऊर्जा के हल की खोज —Pgs. ४२९२७. नेटवर्क का प्रभाव —Pgs. ४५१उपसंहार२८. जाग्रत् देश —Pgs. ४५३२९. मुख्य घटनाओं की समय-सारणी —Pgs. ४६४संदर्भ —Pgs. ४७४
राजनीति : सामाजिक - Ubharte Bharat Ki Tasveer
Ubharte Bharat Ki Tasveer - by - Prabhat Prakashan
Ubharte Bharat Ki Tasveer - 1990 के दशक से भारत कई बड़े सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक बदलावों का साक्षी रहा है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और विविधताओं से भरे राष्ट्र की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर अब स्वतंत्रता के पैंसठ साल बाद भारत को उभरती हुई महाशक्ति माना जा रहा है। इस विशद और गंभीर पुस्तक में आधुनिक भारत को आकार देनेवाले मुख्य विचारों का विश्लेषण करते हुए देश के बेहतरीन और विचारशील चिंतकों में से एक नंदन नीलेकनी ने हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य पर मौलिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। वे बताते हैं कि कैसे अपनी अच्छी मंशाओं और भव्य आदर्शवाद के बावजूद भारत की शुरुआती समाजवादी नीतियों ने विकास में बाधा डाली और लोकतंत्र को कमजोर किया; आम धारणा के विपरीत देश की विशाल और शक्तिशाली युवा पीढ़ी कैसे अब इसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई है; कैसे सूचना प्रौद्योगिकी न सिर्फ व्यापार में, बल्कि ज्यादातर भारतीयों की रोजमर्रा की जिंदगी में क्रांति ला रही है और कैसे तेजी से हो रहा शहरीकरण हमारे समाज और राजनीति को बदल रहा है। इसी के साथ उन्होंने भविष्य के लिए भी कुछ प्रश्न उठाए हैं—वैश्विक शक्ति बनने पर भारत कैसे विकास के पूर्व प्रतीकों द्वारा की गई गलतियों से बचेगा?
- Stock: 10
- Model: PP2208
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2208
- ISBN: 9789350484715
- ISBN: 9789350484715
- Total Pages: 504
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2018
₹ 800.00
Ex Tax: ₹ 800.00