युद्ध : रक्षा विज्ञान - Kargil Ke Paramvir Captain Vikram Batra
‘मैं या तो जीत का भारतीय तिरंगा लहराकर लौटूँगा या उसमें लिपटा हुआ आऊँगा, पर इतना निश्चित है कि मैं आऊँगा जरूर।’
कैप्टन बत्रा ने अपने साथी को यह कहकर किनारे धकेल दिया कि तुम्हें अपने परिवार की देखभाल करनी है और अपने सीने पर गोलियाँ झेल गए। कैप्टन बत्रा 7 जुलाई, 1999 को कारगिल युद्ध में अपने देश के लिए लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। बेहद कठिन चुनौतियों और दुर्गम इलाके के बावजूद, विक्रम ने असाधारण व्यक्तिगत वीरता तथा नेतृत्व का परिचय देते हुए पॉइंट 5140 और 4875 पर फिर से कब्जा जमाया। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। विक्रम मात्र 24 वर्ष के थे।
‘कारगिल के परमवीर : कैप्टन विक्रम बत्रा’ में उनके पिताजी जी.एल. बत्रा ने अपने बेटे के जीवन की प्रेरणाप्रद घटनाओं का वर्णन किया है और उनकी यादों को फिर से ताजा किया है। उन्होंने आनेवाली पीढि़यों में जोश भरने और वर्दी धारण करनेवाले पुरुषों के कठोर जीवन का उल्लेख भी किया है।अनुक्रमप्राकथन — Pgs. 7संदेश — Pgs. 11-16मेरी बात — Pgs. 17आभार — Pgs. 191. एक योद्धा का जन्म — Pgs. 252. कॉलेज के दिन — Pgs. 313. मन की पुकार... 364. आगे का रास्ता — Pgs. 405. पहली पोस्टिंग (तैनाती) — Pgs. 466. उपद्रव का समय — Pgs. 537. हंप, रॉकी नॉब (Rocky Knob) पर विजय — Pgs. 578. ऑपरेशन विजय — Pgs. 619. प्वॉइंट 5140 पर कजा — Pgs. 6510. देश का गौरव, देश का हीरो — Pgs. 7111. प्वॉइंट 4875 की लड़ाई — Pgs. 7512. अंतिम लड़ाई — Pgs. 7813. शहादत — Pgs. 8514. जीत की कीमत — Pgs. 8815. देश का नमन — Pgs. 9016. एक सैनिक की प्रेम कहानी — Pgs. 9317. युद्ध-विराम — Pgs. 9518. सर्वोच्च सम्मान — Pgs. 9719. प्रशस्ति — Pgs. 9920. स्मृतियों में...विक्रम : माँ की स्मृतियों में — Pgs. 101गौरवान्वित पिता की स्मृतियों में — Pgs. 103भ्रातृ-स्नेह : जन्म-जन्म का बंधन — Pgs. 105बहन की स्मृतियों में...खिलंदड़ विक्रम — Pgs. 112भाई, जिसने अपना वादा पूरा किया : एक बहन की श्रद्धांजलि — Pgs. 114न जाने फिर कब मुलाकात होगी : जानी — Pgs. 116कारगिल की कहानी : बरखा दा की जुबानी — Pgs. 122जन-जन का हीरो : देश-दुनिया के शदों में — Pgs. 126ये दिल माँगे मोर — Pgs. 142कैप्टन विक्रम बत्रा को श्रद्धांजलि — Pgs. 144शेरदिल — Pgs. 147मेरे मन-मंदिर का देवता — Pgs. 149संदर्भ-सूची — Pgs. 150
युद्ध : रक्षा विज्ञान - Kargil Ke Paramvir Captain Vikram Batra
Kargil Ke Paramvir Captain Vikram Batra - by - Prabhat Prakashan
Kargil Ke Paramvir Captain Vikram Batra - ‘मैं या तो जीत का भारतीय तिरंगा लहराकर लौटूँगा या उसमें लिपटा हुआ आऊँगा, पर इतना निश्चित है कि मैं आऊँगा जरूर।’ कैप्टन बत्रा ने अपने साथी को यह कहकर किनारे धकेल दिया कि तुम्हें अपने परिवार की देखभाल करनी है और अपने सीने पर गोलियाँ झेल गए। कैप्टन बत्रा 7 जुलाई, 1999 को कारगिल युद्ध में अपने देश के लिए लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। बेहद कठिन चुनौतियों और दुर्गम इलाके के बावजूद, विक्रम ने असाधारण व्यक्तिगत वीरता तथा नेतृत्व का परिचय देते हुए पॉइंट 5140 और 4875 पर फिर से कब्जा जमाया। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। विक्रम मात्र 24 वर्ष के थे। ‘कारगिल के परमवीर : कैप्टन विक्रम बत्रा’ में उनके पिताजी जी.
- Stock: 10
- Model: PP2033
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP2033
- ISBN: 9789352664283
- ISBN: 9789352664283
- Total Pages: 152
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2017
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00