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भक्ति साहित्य - Sahitya, Shiksha Aur Sanskriti

भक्ति साहित्य - Sahitya, Shiksha Aur Sanskriti
साहित्य, शिक्षा और संस्कृति—ये तीनों व्यापक विषय हैं। इनमें जाति, धर्म और देश समाहित हैं। किसी भी देश की उन्नति और उसका गौरव इन्हीं पर निर्भर करता है। साहित्य सभ्यता का द्योतक है। साहित्य की ओट में ही काल विशेष की विशेषता छिपी रहती है, जिसे समय-समय पर साहित्यकार उद्घाटित करता है। शिक्षा जीवन में व्याप्त अंधकार को दूर कर हमारे जीवन और वातावरण में सामंजस्य स्थापित करती है। वह हमें आत्मनिर्भर बनाती है। शिक्षित समाज ही उन्नति-प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है। भारतीय संस्कृति अपने आप में अनोखी है। यहाँ पर मानसिक स्वतंत्रता सदैव अबाधित रही है। हमारी आधुनिक संस्कृति पर अनेकानेक प्रकार के वादों का प्रभाव पड़ा है। बहुत सी बातों में विभिन्नता दिखाई देती है; परंतु यह सब होते हुए भी सारे भारत में एकसूत्रता विद्यमान है। साहित्य, शिक्षा और संस्कृति में राजेंद्र बाबू द्वारा समाज के इन तीन प्रमुख अंगों के विषय में प्रकट ओजपूर्ण विचार संकलित हैं। इनके माध्यम से पाठक राजेंद्र बाबू के विराट् व्यक्तित्व के दर्शन कर सकेंगे।

भक्ति साहित्य - Sahitya, Shiksha Aur Sanskriti

Sahitya, Shiksha Aur Sanskriti - by - Prabhat Prakashan

Sahitya, Shiksha Aur Sanskriti -

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  • Stock: 10
  • Model: PP1964
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1964
  • ISBN: 9788173156786
  • ISBN: 9788173156786
  • Total Pages: 204
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00