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भक्ति साहित्य - Poorab Ke Jharokhe

भक्ति साहित्य - Poorab Ke Jharokhe
पूरब के झरोखे’ भारत की अक्षयौवना संस्कृति की निर्बाध यात्रा के विभिन्न अयामों का आकलन-अनुशीलन है। इसमें वैदिक-अवैदिक चिंतन-प्रवाहों के अंतर्गत वेद-वेदांग, उपनिषद्-पुराण, महाकाव्य, आत्मवादी और अनात्मवादी दर्शनों की झाँकी प्रस्तुत की गई है। लौकिक संस्कृति के प्रतिनिधि कवि कालिदास की चर्चा है। मध्ययुग की तंत्र-साधना, भक्‍त‌ि-भागवत आंदोलन, आत्मा-परमात्मा और तीनमूर्ति के स्वरूपों के विवेचनों से पुस्तक का कलेवर समृद्ध है। ‘इक्कीसवीं सदी’ तथा पिछली शताब्दियों का पुनरावलोकन है, वस्तुत: सांस्कृतिक क्षरण, पश्‍च‌िमी अनुकरण तथा भक्‍त‌ि के अवमूल्यन-विरूपण की व्यथा-कथा चिंतन बिंदुओं और चिंतकों को झकझोरती है, जगाती है। ...और यही तो हमारा सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य है, जैसा पूरब के झरोखों में देखा गया है। सामान्य पाठकों का संस्कृति के तमाम पड़ावों से संक्षिप्‍त परिचय कराती महत्त्वपूर्ण पुस्तक।

भक्ति साहित्य - Poorab Ke Jharokhe

Poorab Ke Jharokhe - by - Prabhat Prakashan

Poorab Ke Jharokhe - पूरब के झरोखे’ भारत की अक्षयौवना संस्कृति की निर्बाध यात्रा के विभिन्न अयामों का आकलन-अनुशीलन है। इसमें वैदिक-अवैदिक चिंतन-प्रवाहों के अंतर्गत वेद-वेदांग, उपनिषद्-पुराण, महाकाव्य, आत्मवादी और अनात्मवादी दर्शनों की झाँकी प्रस्तुत की गई है। लौकिक संस्कृति के प्रतिनिधि कवि कालिदास की चर्चा है। मध्ययुग की तंत्र-साधना, भक्‍त‌ि-भागवत आंदोलन, आत्मा-परमात्मा और तीनमूर्ति के स्वरूपों के विवेचनों से पुस्तक का कलेवर समृद्ध है। ‘इक्कीसवीं सदी’ तथा पिछली शताब्दियों का पुनरावलोकन है, वस्तुत: सांस्कृतिक क्षरण, पश्‍च‌िमी अनुकरण तथा भक्‍त‌ि के अवमूल्यन-विरूपण की व्यथा-कथा चिंतन बिंदुओं और चिंतकों को झकझोरती है, जगाती है। .

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  • Stock: 10
  • Model: PP1939
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP1939
  • ISBN: 9789383111404
  • ISBN: 9789383111404
  • Total Pages: 128
  • Edition: Edition 1
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2016
₹ 225.00
Ex Tax: ₹ 225.00