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प्रतिनिधि रचनाएँ

प्रतिनिधि रचनाएँ
अंतरिक्ष में रहना आसान नहीं है। कपड़े धोना और खाना-पीना अंतरिक्ष की भारहीनता में बहुत जटिल प्रक्रियाएँ बन जाती हैं। छोटे-से-छोटा कार्य भी अंतरिक्ष में, जहाँ पर सभी चीजें भारहीन होकर तैर रही हों, चुनौतीपूर्ण बन जाता है। प्रस्तुत पुस्तक में, अंतरिक्ष में जीवन के विभिन्न पहलुओं-भोजन, शयन, स्पेस सूट, स्..
₹ 500.00
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एक सभ्यता के नजरिए से भले ही डेढ़ सौ वर्षों की अवधि छोटी लग सकती है, लेकिन जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो दंग रह जाते हैं कि इन डेढ़ सौ वर्षों में हमारे देश को कितने नाटकीय परिवर्तन से होकर गुजरना पड़ा है! इस पुस्तक में इतिहास के ऐसे ही उत्थान-पतन, विजय और त्रासदी को समेटने का प्रयास किया गया है। इस..
₹ 500.00
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दीपशिखा—संतोष शैलजा‘दीपशिखा’ केवल निबंध-संग्रह नहीं, अपितु जीवन के विविध रूपों को उजागर करनेवाली रचना है। इसमें समसामयिक व सामाजिक प्रश्‍न हैं और परिवार एवं संस्कृति से संबंधित विषय भी। सुप्रसिद्ध लेखिका संतोष शैलजा के संवेदनशील हृदय ने उन सभी प्रश्‍नों के समाधान ढूँढ़ने का प्रयास किया है। इनके अलाव..
₹ 150.00
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चीन मूल रूप से एक कृषिप्रधान विशाल साम्राज्यवादी देश रहा है, जिसमें गिने-चुने धनाढ्य जमींदार परिवारों का वर्चस्व था। उन्होंने आबादी के बड़े हिस्से पर राज किया, जिसमें मुख्य रूप से बंधुआ मजदूर और काश्तकार किसान थे। धनाढ्य वर्ग का नियंत्रण सरकार, सेना, न्यायपालिका से लेकर कानून लागू करनेवाली इकाइयों त..
₹ 800.00
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समसामयिक विषयों पर रचित इन आलेखों में समाज की विभिन्न गतिविधियों एवं परिस्थितियों का प्रतिबिंब बखूबी झलकता है। ये रचनाएँ विविध सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक  और  पारिवारिक अभिव्यंजनाओं के मानदंड को अभिव्यक्त करती हैं। इन आलेखों को सारगर्भित परंतु सरल भाषा में सँजोया गया है। लेखक ने अपनी बात ‘धाकड़’ ..
₹ 250.00
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संभल गाँव का निवासी और फौज में सूबेदार बिंदेश्वरनाथ त्रिवेदी, प्रथम विश्व-युद्ध के लिए यूरोप जाता है लेकिन युद्ध खत्म होने पर भी घर नहीं लौटता। इस बीच उसके बेटे रमानाथ को संभल का एक रहस्यमयी व्यक्ति मिलता है जो रमानाथ के लापता पिता के बारे में सब जानता है। वह रमानाथ को यूरोप में फैली स्पैनिश फीवर ना..
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अराजक और अनास्था की विषम स्थिति में भी मूल्यों की तलाश करनेवाले बड़े आस्थावादी रचनाकार हैं आचार्यश्री जिन्हें हम सांसारिकता से विमुख हो संतुलित और समग्र संवेदनात्मक संसार की रचना करने की बेचैनी से भरे हुए देखते रहे हैं। शास्त्रीजी गीतकार बड़े हैं या गद्यकार; यद्यपि कहना कठिन है, फिर भी उनके गद्य-सृ..
₹ 350.00
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‘‘आप सचमुच जानना चाहती हैं?’’ मैं उसकी आँखों में झलकती दर्द की परछाइयों के बीच कुछ खोज रही थी। ‘‘कहीं आपकी हमदर्दी कम तो न हो जाएगी! मेरा बेटा था वह।’’ ‘‘ओह? अच्छा। तो...?’’ ‘‘अफ्रीकी-अमेरिकन से शादी की थी। मेरे साथ कॉलेज में थी। बहुत प्यार था हमारा। हमारे प्यार की संतान था वह!’’ निःशब्द थी मैं..
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