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नाटक : एकांकी

नाटक : एकांकी
धीरज के जादू से जुबान, कान, आँख, नाक और हाथ सब असली खुशी पाने का साधन बन जाते हैं। बिना धीरज यही इंद्रियाँ रोग और विकार का कारण बन जाती हैं। जैसे... जुबान - धीरज = साँप का जहर, गाली, बद्दुआ। जुबान + धीरज = विकास की सीढ़ी, रिश्तों में मिठास कान - धीरज = युद्ध का मैदान, शोर कान + धीरज = सत्य श्रवण..
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हर सुबह ईश्वर से प्रार्थना करो, ताकि आपका पूरा दिन आराम से कटे तथा हर दिन ध्यान करो, ताकि आपके साथ रहनेवाले लोगों का दिन आराम से बीते। सच्ची शांति में ही पूर्ण आराम है। कुंभकरण का आराम आलस है, रावण का आराम युद्ध की तैयारी है, लेकिन राम का आराम समाधि है। सच्चा आराम भीतर का राम है, आपके अंदर प्रकट होन..
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यह पुस्तक लेखक की फिल्मी दुनिया, यानी मुंबई में रहकर जीना सीखने का लिखित दस्तावेज है, जिनका कई फिल्मी हस्तियों से संपर्क रहा। फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे के साथ-साथ फिल्म आर्कइव, फिल्म से जुड़ी लाइब्रेरी, फिल्म लेखक, गीतकार, म्यूजिक डायरेक्टर, एक्टर, चरित्र अभिनेता, कैमरामैन, स्क्रिप्ट रा..
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दुर्योधन ने अगर श्रीकृष्ण को युद्ध के मैदान में सारथी के रूप में माँगा होता तो क्या आज जो गीता बनी है, वह वैसी ही रहती? नहीं, गीता बदल जाती। वह गीता श्रीकृष्ण और दुर्योधन के बीच हुए वार्त्तालाप पर आधारित होती। यदि दुर्योधन की गीता बन जाती, उसके अठारह अध्याय बन जाते तो आज कितने लोगों को लाभ हो रहा ह..
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नाटक बाल साहित्य की ऐसी विधा है, जिसमें कविता, कहानी, रहस्य-रोमांच और अभिनय सभी कुछ शामिल है। बच्चों को नाटकों में जितना आनंद आता है, उतना शायद ही साहित्य के किसी और रूप में। जब वे नाटकों में खुद अपने जैसे बच्चों और उनकी अजब-गजब मुश्किलों को सामने मंच पर देखते हैं या उन्हें आनंद और मस्ती से सराबोर ह..
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कितनी शुभ है यह इच्छा, ईश्वर से मुलाकात करने की। क्या आपमें भी ऐसी इच्छा जगी है कि किसी दिन आप ईश्वर से मिल पाओ और बातें कर पाओ? यदि हाँ, तो देर किस बात की है? देर है आपके अंदर प्रार्थना उठने की। यह प्रार्थना थी एक बच्चे की, जिसने मंदिर में अपने माता-पिता को ईश्वर की मूरत के आगे सिर झुकाते हुए देखा..
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कभी कोई कहता है कि 'क्या नाटक-सा कर रहा है' तो ऐसा लगता है कि 'नाटक' सामान्य अभिनय से अलग कोई चीज नहीं है या नाटक का एकमात्र अभिप्राय है- अभिनय। हाँ नाटक का अभिप्राय अभिनय जरूर है, किंतु वह अभिनय होता है जीवन का, जीवन की सच्चाइयों का, जीवन की मधुर-कठोर परिस्थितियों का, सामाजिक परिवेश का। किंतु जब ..
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सिद्ध : ताँबे के चूर्ण को मल्‍ल‌िका की आँच यानी अपनो सखो माया की सहायता से किसी बड़ी आँच में पिघलाकर पलाश के पत्तों के रस से मिला दिया जाय और फिर मुचकुंद का संयोग किया जाय तो चोखा सोना बन जाएगा। कामिनी : मुचकुंद का संयोग क्या और कैसा? सिद्ध : बस, स्वर्ण-रसायन में इतनी ही पहेली और है, थोड़ी देर में ब..
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राम : सुनो लक्ष्मण! आर्य नारी तारा और मंदोदरी से भिन्न शीलवाली होती है, इसे प्रमाणित करने के लिए सीता को अग्नि-परीक्षा देनी ही होगी। लंका भोगवादी, यांत्रिक और आसुरी सभ्यता का केन्द्र रही है। स्वच्छंद-उन्मुक्‍त विलास ही इस सभ्यता में नारी के जीवन का उपयोग है। ऐसे परिवेश में नारी के व्यक्‍तित्व का पूर..
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वस्तुतः व्यंग्य में यदि हास्य नहीं होगा तो वह कोतवाल का हंटर हो जायेगा। उसकी पोड़ा से तिलमिलाकर अभियुक्त कैसा अनुभव करेगा, उसे आप अच्छी तरह समझ सकते हैं। इस कार्य के लिए न्यायालय पहले से ही मौजूद है, फिर व्यंग्य की क्या जरूरत है। हास्य-मिश्रित व्यंग्य सीधा प्रहार करता है और आपको चोट भी नहीं लगती। लग..
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भारतीय संत परंपरा के गौरवपूर्ण अभिधान हैं आचार्य तुलसी—उनका व्यक्तित्व, कर्तृत्व और नेतृत्व महानता लिये हुए था। उनके पुनीत पुरुषार्थ से तेरापंथ शासन, जैन शासन और मानवजाति उपकृत हुए। संप्रदाय विशेष का नेतृत्व करते हुए उन्होंने असांप्रदायिक धर्म रूप में अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। महान् परिव्राजक..
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