उपन्यास - Yamini Katha
‘यामिनी कथा’ में यामिनी के मानसिक भँवर की अथाह गहराई, उसकी गंभीरता, उसमें सम्मिलित गोचर-अगोचर अनगिनत मानसिक संवेदना-प्रवाहों का विशद रूपायन, आधुनिक नारी के जटिल तनाव और इसी बीच किसी तरह संतुलन के लिए सफल-असफल प्रयास करने में अभिव्यक्त जिजीविषा के शक्तिपूर्ण और कलात्मक दर्शन होते हैं।
यामिनी एक अतिशय संवेदनशील नारी है, जिसकी संवेदना ने उसके अनुभव को विलक्षण धार दी है। यामिनी की अथाह वेदना के अनेक केंद्र हैं। यामिनी के दु:ख का प्रारंभ, जो कथानिविष्ट है, उसके असफल विवाह से है। अपने पति विश्वास से यदि वह कुछ अधिक चाहती है तो वह है—प्यार, जो शरीर से उत्पन्न होता हुआ भी मानसिक और आत्मिक अधिक है। परंतु उसके पूर्ण समर्पण से भी विश्वास उसे वह प्यार नहीं दे पाता, क्योंकि स्त्री की ओर उसने विशेष सम्मान की दृष्टि से कभी देखा ही नहीं। इन दोनों के बीच के संबंधों का वह असमंजस सूर्यबाला ने अनेक घटनाओं, संवादों और संवेदनात्मक दंशों से प्रकट किया है।
यामिनी की दारुण नियति से संघर्ष की गाथा का बड़ा ही करुण रूप लेखिका ने प्रत्यक्ष गोचर किया है। यामिनी के दु:ख का स्वरूप अनेक स्तरीय है। उसके आंतरिक और बाह्य संघर्ष का हृदय-विदारक चित्र लेखिका ने महीन परंतु ठोस रंग-रेखाओं से खींचा है। मोहभंग का यह दर्दनाक चित्र यामिनी की कराहों से पाठक को साझीदारी करने को बाध्य करता है।
संवेदनात्मक बदलावों के बीच यामिनी के संघर्ष की वीरगाथा भी सरकती जाती है—जो संघर्ष उसने पति की जान बचाने के लिए किया और किसी बिंदु पर अपने असफल संघर्ष की परिणति से रू-बरू होते हुए भी वह अपनी मानसिक शांति के लिए अपने को झोंक रही है।
प्रस्तुत कृति में भारतीय स्त्री-मानस का उज्ज्वल चित्र प्रस्तुत किया गया है।
उपन्यास - Yamini Katha
Yamini Katha - by - Prabhat Prakashan
Yamini Katha -
- Stock: 10
- Model: PP708
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP708
- ISBN: 9788188139552
- ISBN: 9788188139552
- Total Pages: 118
- Edition: Edition 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2010
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00