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उपन्यास - Highway E 47

उपन्यास - Highway E 47
नारी-विमर्श अपने आप में साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण विधा रही है। स्त्रा्वादी साहित्य महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को परिभाषित तथा नारीवादी लक्ष्यों का समर्थन करता है।  नारी-विमर्श पर आधारित संकलन की ये बारह कहानियाँ विविध नारी पात्रों को लेकर बुनी गई हैं, जो एक तरफ समकालीन जीवन के जटिल और क्रूर यथार्थ को चिह्नित करती हैं तो दूसरी तरफ स्त्रा्-जीवन के विभिन्न पक्षों को उद्घाटित करती हैं। समाज के प्रत्येक वर्ग की स्त्रा् के जीवन को प्रस्तुत करती हैं ये कहानियाँ। एक व्यापक भूमंडल को आच्छादित किए इन कहानियों में मानव जीवन के कई रंग बिखरे हुए हैं। पाठकों को भिन्न-भिन्न परिवेश में जी रही महिलाओं के जीवन से रूबरू करवाती, हमारी पारंपरिक सोच और रूढ़िवादी विचारों को झकझोरती ये कहानियाँ अत्यंत सजीव हैं।  अहं, अन्याय, अकेलापन, विमुखता, प्रतिरोध, यंत्रणा, वेदना, लाचारी...तमाम अंतर्द्वंद्वों से जूझती, स्वयं के लिए सही संतुलन प्राप्त करने के लिए संघर्ष करती इन कहानियों की दमदार महिलाएँ पाठकों को प्रेरणा प्रदान करती हैं।  पारिवारिकता और सामाजिकता की ये कहानियाँ नारी-सशक्तीकरण परिवेश का सशक्त स्वर हैं।अनुक्रमरोचकता कभी भंग नहीं होती—5विभिन्न समाजों में नारियाँ—91. अनुजा—132. वह उसे क्यों पसंद करती है?—283. हाईवे E 47—404. मही क्या कहेगी?—565. अगर वह उसे माफ कर दे?—746. कठिन चुनाव—887. मीरा बनाम सिलविया—1078. लक्ष्मी—1179. काश... 13410. खुलकर कहूँगी कि मैं गे हूँ—15411. मुख्यमंत्री की पत्नी—16512. गॉडमदर—178

उपन्यास - Highway E 47

Highway E 47 - by - Prabhat Prakashan

Highway E 47 - नारी-विमर्श अपने आप में साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण विधा रही है। स्त्रा्वादी साहित्य महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को परिभाषित तथा नारीवादी लक्ष्यों का समर्थन करता है।  नारी-विमर्श पर आधारित संकलन की ये बारह कहानियाँ विविध नारी पात्रों को लेकर बुनी गई हैं, जो एक तरफ समकालीन जीवन के जटिल और क्रूर यथार्थ को चिह्नित करती हैं तो दूसरी तरफ स्त्रा्-जीवन के विभिन्न पक्षों को उद्घाटित करती हैं। समाज के प्रत्येक वर्ग की स्त्रा् के जीवन को प्रस्तुत करती हैं ये कहानियाँ। एक व्यापक भूमंडल को आच्छादित किए इन कहानियों में मानव जीवन के कई रंग बिखरे हुए हैं। पाठकों को भिन्न-भिन्न परिवेश में जी रही महिलाओं के जीवन से रूबरू करवाती, हमारी पारंपरिक सोच और रूढ़िवादी विचारों को झकझोरती ये कहानियाँ अत्यंत सजीव हैं।  अहं, अन्याय, अकेलापन, विमुखता, प्रतिरोध, यंत्रणा, वेदना, लाचारी.

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  • Stock: 10
  • Model: PP579
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: PP579
  • ISBN: 9789386054821
  • ISBN: 9789386054821
  • Total Pages: 192
  • Edition: Edition First
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Cover
  • Year: 2018
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00