उपन्यास - Agnikanya
अग्निकन्या हजारों वर्ष पूर्व अग्नि से प्रकट हुए एक अप्रतिम अस्तित्व हिमालय की बर्फ के नीचे आज भी सो रही है...पांडव पत्नी, श्रीकृष्ण की सखी, अप्रतिम सम्राज्ञी द्रौपदी स्वर्गारोहण मार्ग पर चलते हुए नगाधिराज के बर्फ पर गिर गई। तब उसके ज्येष्ठ पति युधिष्ठिर ने कहा था, ‘तुम अर्जुन से ज्यादा प्रेम कर रही थीं, इस अधर्म के कारण सबसे पहले गिरीं।’धर्मराज के कथन का गूढ़ अर्थ हो सकता है, लेकिन विश्व ने ‘वह किसे प्रेम करती है...पाँच पतियों की पत्नी थी, भरी सभा में...’ जैसी पार्थिव बातों से आगे वह कुछ नहीं जानता...द्रुपद की प्रिय पुत्री की यह कथा उसके पूर्णत्व का दर्शन कराती है। जीवन एक निरंतर चलता संघर्ष है, यह संघर्ष का लक्ष्य सत्य एवं धर्म से अलग नहीं है। वह विशेषकर सतीत्व का सत्यार्थ क्या है? वह कहती, स्त्री के अस्तित्व की, महत्ता की एवं स्वतंत्रता की बात करती यह कथा हर व्यक्ति को पढ़नी चाहिए।
उपन्यास - Agnikanya
Agnikanya - by - Prabhat Prakashan
Agnikanya - अग्निकन्या हजारों वर्ष पूर्व अग्नि से प्रकट हुए एक अप्रतिम अस्तित्व हिमालय की बर्फ के नीचे आज भी सो रही है.
- Stock: 10
- Model: PP595
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: PP595
- ISBN: 9789351862222
- ISBN: 9789351862222
- Total Pages: 184
- Edition: Edition 1st Edition
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Cover
- Year: 2016
₹ 250.00
Ex Tax: ₹ 250.00