सृजनशील रचनाकार उच्चकोटि का यायावर या घुमक्कड़ भी हो, ऐसा संयोग प्राय: दुर्लभ होता है, और जब होता है तो उसकी प्रतिभा अविस्मरणीय कृतियों को जन्म देती है। प्रस्तुत पुस्तक ऐसी ही एक असामान्य और अविस्मरणीय कृति है, जिसमें बांग्ला के सुख्यात यायावर-कथाकार प्रबोध कुमार सान्याल ने अपनी उत्तर हिमालय-यात्रा ..
18वीं शताब्दी मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ-साथ यूरोपीय शक्तियों विशेष रूप से अंग्रेज़ों के उत्थान की शताब्दी है। पतन और उत्थान की यह सदी हिन्दुस्तान के सामंती ढाँचे के टूटने और उपनिवेश विस्तार की भी सदी मानी जाती है। उपनिवेशवादी षड्यंत्र और विस्तारवादी नीति से पहली बार इस महाद्वीप का सामना हो रहा थ..
विचारों से मार्क्सवादी और स्वाधीनता आन्दोलन के दौर में क्रान्तिकारी, प्रसिद्ध कथाकार और विचारक यशपाल के ‘लोहे की दीवार के दोनों ओर’, ‘राह बीती’, ‘स्वर्गोद्यान : बिना साँप’ यात्रा वर्णन और संस्मरण तथा ‘नशे-नशे की बात’ कथानाटक इस खंड में संकलित हैं। वस्तुपरक आत्मपरकता इन यात्रा-वर्णनों का प्रमुख गुण ह..