History - Gandhi aur Nehru
भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन वस्तुत: आम सहमतियों और व्यापक संयुक्त मोर्चों एवं सम्मिलित जन-आन्दोलन को लेकर राजनीतिशास्त्र की दुनिया में एक ‘नई गतिकी’ को निर्मित करता है, यह विश्व इतिहास में एक नई कड़ी है।गांधी विमर्श तो न केवल भारत में अपितु पूरे विश्व में बड़े दमख़म के साथ चल रहा है, पर जवाहरलाल के बारे में इस दौर में कुछ ही पुस्तकें बाज़ार में आ रही हैं, गांधी-नेहरू साझा विमर्श एक देर से ही सही लेकिन निहायत ही मौज़ूँ सिलसिला है।वैश्वीकरण के आक्रामक दौर में नेहरू जो एक स्वतंत्र वैकल्पिक अर्थतंत्र और राज्य सत्ता के स्थपति थे, उन्हें भुला देना अस्वाभाविक नहीं लगता है। इस दौर में मौजूदा राज्य सत्ता से लेकर प्रमुख विपक्ष तक ने वैश्वीकरण और उदारीकरण को स्वीकार कर लिया है। साम्प्रदायिकता की तस्वीर में भी 1992 और 2002 के बाद शताब्दियों से चल रही मुश्तरका संस्कृति में दीमक लग गई है। गांधी को तो वैश्वीकरण के स्टीमरोलर ने बेरहमी से ज़मींदोज़ कर दिया है। ऐसे दौर में गांधी-नेहरू के ऐतिहासिक साझा और उनके कृतित्व पर पुन: रोशनी पड़नी चाहिए।प्रस्तुत पुस्तक दो महान स्वप्नद्रष्टाओं की यथार्थसम्मत विचारधारा को सप्रमाण रेखांकित करती है।
History - Gandhi aur Nehru
Gandhi aur Nehru - by - Rajkamal Prakashan
Gandhi aur Nehru -
- Stock: 2-3 Days
- Model: RKP1474
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP1474
- ISBN: 0
- Total Pages: 176p
- Edition: 2013, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2013
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Ex Tax: ₹ 0.00