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Satire - Balam, Tu kahe Na Hua N.R.I

Satire - Balam, Tu kahe Na Hua N.R.I
आलोक पुराणिक हमारे रोज़मर्रा जीवन की विसंगतियों की शल्य-क्रिया करनेवाले व्यंग्यकार हैं।‘बालम, तू काहे न हुआ एन.आर.आई.’ उनका महत्त्वपूर्ण व्यंग्य-संग्रह है। इसमें उन्होंने देश-विदेश एवं मिथकीय सन्दर्भों से जहाँ आज के सामाजिक जीवन की विद्रूपताओं को रेखांकित किया है, वहीं राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार पर प्रकाश डालने के साथ अपने स्वार्थों में लिप्त धार्मिक पाखंडियों का भी पर्दाफ़ाश किया है।व्यंग्य के बहाने लेखक हमारे जीवन से जुड़े उन विरोधाभासों को परत-दर-परत खोलता चलता है जिनका सामना हमें जीवन में क़दम-क़दम पर करना पड़ता है और जहाँ हम नाटकीय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं। स्वार्थों और चालाकियों की भेंट चढ़े रिश्ते हों या बहुराष्ट्रीयता के प्रहसन के सामने अपनी साख बचाती स्थानीयता या फिर स्वतंत्रता बाद के भारत की राजनीति हो, यह सब उनकी लेखनी के दायरे में आते हैं, और इतने स्वाभाविक चुटीलेपन के साथ कि पाठक भावोद्वेलित हुए बिना नहीं रह सकता।

Satire - Balam, Tu kahe Na Hua N.R.I

Balam, Tu kahe Na Hua N.R.I - by - Radhakrishna Prakashan

Balam, Tu kahe Na Hua N.R.I - आलोक पुराणिक हमारे रोज़मर्रा जीवन की विसंगतियों की शल्य-क्रिया करनेवाले व्यंग्यकार हैं।‘बालम, तू काहे न हुआ एन.

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  • Stock: 10
  • Model: RKP3073
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP3073
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 191p
  • Edition: 2009, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
  • Year: 2009
₹ 95.00
Ex Tax: ₹ 95.00
Tags: balam , tu , kahe , na , hua , n , r , i , satire , hindi , gagan , notebook