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Representative Stories - Pratinidhi Kahaniyan ; shani

Representative Stories - Pratinidhi Kahaniyan ; shani
शानी हिन्‍दी साहित्‍य के एक विरल कथाकार हैं। अनछुए-अनदेखे यथार्थ को एक बड़े कैनवस पर रचने के लिए शानी के पास जो विज़न था, वह विघटन के इस दौर में आज भी उतना ही महत्‍त्‍वपूर्ण है। उसे प्रस्‍तुत संग्रह की इन प्रतिनिध कहानियों में भी साफ़ देखा जा सकता है। एक तरफ़ उन्होंने 'जनाजा', 'युद्ध', 'जली हुई रस्सी', सरीखी रचनाओं के ज़रिए विभाजन के बाद से अपने में चन्द मुस्लिम समाज के बहुत सारे डर, असमंजस और विरोधाभास हमारे सामने रखे हैं, तो दूसरी ओर 'जहाँपनाह जंगल' जैसी दुनिया उद्‌घाटित की है और 'परस्त्रीगमन' जैसा नजरिया पेश किया है। उनकी कहानियों में हमें अपने भीतर की वह दबी हुई चीख़ सुनाई पड़ती है, जिसे हम रोज़ मुल्लवी करते चलते थे। साथ ही, उनकी दूरबीनी नज़र के सामने हम अपने कार्यकलापों को बौना, व्यर्थ और क्षणभंगुर होता हुआ भी पाते हैं। संक्षेप में, उनके पाठकों को कहीं छुटकारा नहीं है—हर हालत में वे पात्रों की नियति के सहभोगी हैं—उसमें विद्रूप हो, व्यंग्‍य हो या कभी न भुलाया जानेवाला अपमान।शानी के रचना-संसार से अपरिचित पाठकों के लिए यह संकलन यक़ीनन प्रतिनिधि सिद्ध होगा।

Representative Stories - Pratinidhi Kahaniyan ; shani

Pratinidhi Kahaniyan ; shani - by - Rajkamal Prakashan

Pratinidhi Kahaniyan ; shani -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP1969
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP1969
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 160p
  • Edition: 2019, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
  • Year: 2019
₹ 75.00
Ex Tax: ₹ 75.00