Culture - Tere Dar Pe : Bhakti Ke Naye Drishtikon
हर प्राणी का अपना धर्म होता है। उसका मूल स्वभाव होता है। जैसे किसी विषैले जीव का धर्म है काटना या विष वमन करना। मनुष्य का धर्म है—करुणा और क्षमा। संस्कृति हमें यही सिखाती है कि हम जगत् के समस्त प्राणियों से करुणा करें, उन्हें क्षमा करें। यदि किसी विषैले जीव को भी हम मारते हैं, तो यह हमारे धर्म के प्रतिकूल है। वह हमारा धर्म नहीं है। हमारी असल परीक्षा ऐसे ही अवसरों पर होती है। हम अपने शत्रुओं के प्रति भी शुभकामनाओं से भरे हों और यथासम्भव करुणा और क्षमा के मार्ग का ही अनुसरण करें। इन श्रेष्ठतम मानवीय गुणों का पक्ष इतिहास में हर प्रबुद्ध और जाग्रत मनीषी ने लिया है।
Culture - Tere Dar Pe : Bhakti Ke Naye Drishtikon
Tere Dar Pe : Bhakti Ke Naye Drishtikon - by - Radhakrishna Prakashan
Tere Dar Pe : Bhakti Ke Naye Drishtikon -
- Stock: 10
- Model: RKP3129
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP3129
- ISBN: 0
- Total Pages: 256p
- Edition: 2022, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Paper Back
- Year: 2022
₹ 300.00
Ex Tax: ₹ 300.00