History - Bharat Vibhajan Ke Gunaghar
भारत की आज़ादी के साथ जुड़ी देश-विभाजन की कथा बड़ी व्यथा-भरी है। आज़ादी के सुनहरे भविष्य के लालच में देश की जनता ने देश-विभाजन का ज़हरीला घूँट दवा की तरह पी लिया, लेकिन यह प्रश्न आज तक अनुत्तरित ही बना हुआ है कि क्या भारत- विभाजन आवश्यक था ही? इस सम्बन्ध में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अवश्य लिखा है और उन्होंने विभाजन की ज़िम्मेदारी तत्कालीन अन्य नेताओं पर लादी है। डॉ. राममनोहर लोहिया ने विभाजन के निर्णय के समय होनेवाली सभी घटनाओं को प्रत्यक्ष देखा था और इस पुस्तक में उन्होंने देश-विभाजन के कारणों और उस समय के नेताओं के आचरण पर बड़ी निर्भीकता से विश्लेषण प्रस्तुत किया है।लोहिया जी इस देश-विभाजन को नक़ली मानते थे और उनका विश्वास था कि एक दिन फिर देश के बँटे हुए टुकड़े एक होकर पूरा भारत एक बनाएँगे। लोहिया का यह सपना सच हो, यही कामना हम भी करते हैं।—ओंकार शरद
History - Bharat Vibhajan Ke Gunaghar
Bharat Vibhajan Ke Gunaghar - by - Lokbharti Prakashan
Bharat Vibhajan Ke Gunaghar - भारत की आज़ादी के साथ जुड़ी देश-विभाजन की कथा बड़ी व्यथा-भरी है। आज़ादी के सुनहरे भविष्य के लालच में देश की जनता ने देश-विभाजन का ज़हरीला घूँट दवा की तरह पी लिया, लेकिन यह प्रश्न आज तक अनुत्तरित ही बना हुआ है कि क्या भारत- विभाजन आवश्यक था ही?
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- Model: RKP3355
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP3355
- ISBN: 0
- Total Pages: 95p
- Edition: 2019, Ed. 2nd
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
- Year: 2009
₹ 125.00
Ex Tax: ₹ 125.00