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Politics - Aaj Ke Aiene Mein Rashtravad

Politics - Aaj Ke Aiene Mein Rashtravad
जब सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और थोथी देशभक्ति के जुमले उछालकर जेएनयू को बदनाम किया जा रहा था, तब वहाँ छात्रों और अध्यापकों द्वारा राष्ट्रवाद को लेकर बहस शुरू की गई। खुले में होनेवाली ये बहस राष्ट्रवाद पर कक्षाओं में तब्दील होती गई, जिनमें जेएनयू के प्राध्यापकों के अलावा अनेक रचनाकारों और जन-आन्दोलनकारियों ने राष्ट्रवाद पर व्याख्यान दिए। इन व्याख्यानों में राष्ट्रवाद के स्वरूप, इतिहास और समकालीन सन्दर्भों के साथ उसके ख़तरे भी बताए-समझाए गए।राष्ट्रवाद कोई निश्चित भौगोलिक अवधारणा नहीं है। कोई काल्पनिक समुदाय भी नहीं। यह आपसदारी की एक भावना है, एक अनुभूति जो हमें राष्ट्र के विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों से जोड़ती है। भारत में राष्ट्रवाद स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान विकसित हुआ। इसके मूल में साम्राज्यवाद-विरोधी भावना थी। लेकिन इसके सामने धार्मिक राष्ट्रवाद के ख़तरे भी शुरू से थे। इसीलिए टैगोर समूचे विश्व में राष्ट्रवाद की आलोचना कर रहे थे तो गांधी, अम्बेडकर और नेहरू धार्मिक राष्ट्रवाद को ख़ारिज कर रहे थे।कहने का तात्पर्य यह कि राष्ट्रवाद सतत् विचारणीय मुद्दा है। कोई अन्तिम अवधारणा नहीं। यह किताब राष्ट्रवाद के नाम पर प्रतिष्ठित की जा रही हिंसा और नफ़रत के मुक़ाबिल एक रचनात्मक प्रतिरोध है। इसमें जेएनयू में हुए तेरह व्याख्यानों को शामिल किया गया है। साथ ही योगेन्द्र यादव द्वारा पुणे और अनिल सद्गोपाल द्वारा भोपाल में दिए गए व्याख्यान भी इसमें शामिल हैं।

Politics - Aaj Ke Aiene Mein Rashtravad

Aaj Ke Aiene Mein Rashtravad - by - Rajkamal Prakashan

Aaj Ke Aiene Mein Rashtravad -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP1077
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP1077
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 192p
  • Edition: 2021, Ed. 2nd
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
  • Year: 2018
₹ 195.00
Ex Tax: ₹ 195.00