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Poetry - Khoontiyon Per Tange Log

Poetry - Khoontiyon Per Tange Log
‘खूँटियों पर टँगे लोग’ सर्वेश्वरदयाल सक्सेना का सातवाँ काव्य-संग्रह है, जिसमें शामिल अधिकतर कविताएँ 1976-1981 के बीच लिखी गई थीं। इन कविताओं में नियति और स्थिति को स्वीकार कर लेने की व्यापक पीड़ा है। यह पीड़ा कवि के आत्म से शुरू होकर समाज तक जाती है और फिर समाज से कवि के आत्म तक आती है और इस तरह कवि और समाज को पृथक् न कर, एक करती हुई उसके काव्य-व्यक्तित्व को विराट कर जाती है।सम्प्रेषण की सहजता सर्वेश्वर की कविताओं का मुख्य गुण रहा है और इसकी कलात्मक साध इस संग्रह में और निखरी है। एक समर्थ कवि के स्पर्श से चीज़ें वह नहीं रह जातीं जो हैं—कोट, दस्ताने, स्वेटर सब-के-सब युग की चुनौतियों से टकराकर क्रान्ति, विद्रोह और विरोध से जुड़ जाते हैं। प्रतीकों और बिम्बों का ऐसा सहज इस्तेमाल दुर्लभ है। सर्वेश्वर का काव्य-संसार बहुत व्यापक है। इतना व्यापक संवेदन-क्षेत्र वह रचते हैं कि उनके एक कवि में अनेक कवि देखे जा सकते हैं और सभी सर्वेश्वर हैं। उनकी काव्य-भाषा लोक से आकर इस तरह सम्भ्रान्त भाषा में मिल जाती है कि एक का खुरदरापन और दूसरे का चिकनापन अलग-अलग पहचान पाना कठिन हो जाता है।वस्तुतः ‘खूँटियों पर टँगे लोग’ की कविताएँ सर्वेश्वर की काव्य-भाषा को और आगे बढ़ाती हैं तथा समकालीन हिन्दी काव्य को भी, जिसका चरित्र मूल्यों के अभाव और व्यवस्था के दबाव में तेज़ी से बदल रहा है। यह बदलाव, बिना किसी अतिरिक्त आग्रह के, सर्वेश्वर के इस संग्रह में आसानी से देखा जा सकता है।

Poetry - Khoontiyon Per Tange Log

Khoontiyon Per Tange Log - by - Rajkamal Prakashan

Khoontiyon Per Tange Log -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP134
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP134
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 136p
  • Edition: 2022, Ed. 7th
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 1982
₹ 395.00
Ex Tax: ₹ 395.00