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Literary Criticism - Nirala

Literary Criticism - Nirala
हिन्दी साहित्य में ‘निराला’ के योगदान को रेखांकित करने में डॉ. रामविलास शर्मा ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। यह पुस्तक उस भूमिका का पहला अध्याय है।सन् 1949 में यह पहली बार छपी थी, तब तक सामाजिक यथार्थ के साथ निराला के रचनात्मक रिश्ते को समग्रता से नहीं समझा गया था। इस पुस्तक ने तब उस दिशा में महत्त्वपूर्ण काम किया। इसने ‘निराला साहित्य’ के मूल्यांकन की नई कसौटियाँ खोजीं। पिछले पचास सालों में डॉ. शर्मा द्वारा निर्धारित इन कसौटियों के इर्द-गिर्द ही निराला साहित्य का अधिकांश विवेचन-विश्लेषण होता रहा है। कहा जा सकता है कि स्वयं रामविलास शर्मा की कालजयी पुस्तक ‘निराला की साहित्य साधना’ की आधारभूमि भी यह पुस्तक है।इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह महज़ ‘साहित्यिक दुनिया’ के लिए नहीं लिखी गई है, बल्कि रामविलास जी के ही शब्दों में, ‘इस पुस्तक को लिखने का मूल उद्देश्य यह रहा है कि साधारण पाठकों तक निराला साहित्य पहुँचे, दुरुहता की जो दीवार खड़ी करके विद्वानों ने निराला को उनके पाठकों से दूर रखने का प्रयास किया था, वह दीवार ढह जाए, इस उद्देश्य को ध्यान में रखने से पाठक अधिक सहानुभूति के साथ यह पुस्तक पढ़ सकेंगे।’

Literary Criticism - Nirala

Nirala - by - Radhakrishna Prakashan

Nirala - हिन्दी साहित्य में ‘निराला’ के योगदान को रेखांकित करने में डॉ.

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  • Stock: 10
  • Model: RKP3111
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP3111
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 200p
  • Edition: 2018, Ed. 8th
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 1991
₹ 495.00
Ex Tax: ₹ 495.00