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Linguistics - Bhasha-Chintan Ke Naye Aayam

Linguistics - Bhasha-Chintan Ke Naye Aayam
चिन्तन-मनन, ज्ञान के प्रसारण, सम्प्रेषण आदि के लिए भाषा की आवश्यकता है। भिन्न-भिन्न प्रयोजनों के लिए भाषा के अलग-अलग प्रारूप भी निर्मित हो जाते हैं। अन्य ज्ञान-विज्ञान की तरह भाषाविज्ञान में भी भाषा को विभिन्न कोणों से देखने-परखने की प्रक्रिया दृष्टिगोचर हो रही है। ‘भाषाविज्ञान’ जो आरम्भ में एक विषय के रूप में प्रतिष्ठित हुआ, वह आज एक ज्ञान का संकाय बन गया है। भाषा-चिन्तन की अनेक शाखाएँ-प्रशाखाएँ बनती जा रही हैं। साहित्य के अध्येताओं के लिए भाषा पर हो रहे विचारों तथा उनके निष्कर्षों से परिचित होना आवश्यक है।विश्वास है कि भाषा-चिन्तन के नए क्षेत्रों का सांगोपांग परिचय पुस्तक के द्वारा पाठकों को मिल सकेगा। एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कृति।

Linguistics - Bhasha-Chintan Ke Naye Aayam

Bhasha-Chintan Ke Naye Aayam - by - Lokbharti Prakashan

Bhasha-Chintan Ke Naye Aayam -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP3618
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP3618
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 115p
  • Edition: 2010, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2010
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00