Menu
Your Cart

Linguistics - Adyatan Bhasha Vigyan : Pratham Pramanik Vimarsh

Linguistics - Adyatan Bhasha Vigyan : Pratham Pramanik Vimarsh
भाषाविज्ञान पर अब तक लिखित सभी पुस्तकों से अलग एवं विशिष्ट। प्रगामी चरण—अद्यतन भाषाविज्ञान—को व्यापकता-गहनता में विवेचित करनेवाली तथा संक्षेप में भाषाविज्ञान के विकास-क्रम को निरूपित करनेवाली प्रथम प्रामाणिक पुस्तक। यह पुस्तक एक ओर सामान्य भाषाविज्ञान से वर्णनात्मक, संरचनात्मक भाषाविज्ञान तक, मनोभाषाविज्ञान से तंत्रिका-भाषाविज्ञान तक, व्यवहारवादी भाषाविज्ञान से विकासात्मक भाषाविज्ञान तक, समाज-भाषाविज्ञान से संभाव्यतापरक भाषाविज्ञान तक, विवेचनात्मक भाषाविज्ञान से पाठात्मक भाषाविज्ञान तक, डेकार्टवादी भाषाविज्ञान से संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान तक, अदालती भाषाविज्ञान से गाणितिक और बीज-गाणितिक भाषाविज्ञान तक, व्यतिरेकी भाषाविज्ञान से अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान तक, संगणक भाषा विज्ञान से कॉपर्स भाषाविज्ञान तक बीस प्रकार के भाषाविज्ञान के निरूपण और युक्तियुक्त विवेचन को अपने में समाविष्ट करती है; तो दूसरी ओर इसे नृतत्‍त्‍व-विज्ञान, प्राणि-विज्ञान, चिकित्सा-विज्ञान, पर्यावरण-विज्ञान, प्रजाति-विज्ञान, शान्ति-अध्ययन, आनुपातिक अध्ययन, सांख्यिकी, धर्म, शिक्षा और दर्शन से जोड़कर स्वरूपित करती है। यह पुस्तक डी. 'शीतांशु' के वर्षों लम्बे भाषाविज्ञान-विषयक गहन अध्ययन-मनन और अध्यापन का सुपरिणाम है। निश्चय ही यह पुस्तक हिन्दी में भाषावैज्ञानिक चिन्तन और लेखन के एक बड़े अभाव की पूर्ति करती है तथा हिन्दी संसार को अद्यतन भाषाविज्ञान से परिचित कराने का श्रेय प्राप्‍त करती है। अद्यतन भाषाविज्ञान के विभित्र प्रकारों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हिन्दी में अकेली पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक।

Linguistics - Adyatan Bhasha Vigyan : Pratham Pramanik Vimarsh

Adyatan Bhasha Vigyan : Pratham Pramanik Vimarsh - by - Lokbharti Prakashan

Adyatan Bhasha Vigyan : Pratham Pramanik Vimarsh - भाषाविज्ञान पर अब तक लिखित सभी पुस्तकों से अलग एवं विशिष्ट। प्रगामी चरण—अद्यतन भाषाविज्ञान—को व्यापकता-गहनता में विवेचित करनेवाली तथा संक्षेप में भाषाविज्ञान के विकास-क्रम को निरूपित करनेवाली प्रथम प्रामाणिक पुस्तक। यह पुस्तक एक ओर सामान्य भाषाविज्ञान से वर्णनात्मक, संरचनात्मक भाषाविज्ञान तक, मनोभाषाविज्ञान से तंत्रिका-भाषाविज्ञान तक, व्यवहारवादी भाषाविज्ञान से विकासात्मक भाषाविज्ञान तक, समाज-भाषाविज्ञान से संभाव्यतापरक भाषाविज्ञान तक, विवेचनात्मक भाषाविज्ञान से पाठात्मक भाषाविज्ञान तक, डेकार्टवादी भाषाविज्ञान से संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान तक, अदालती भाषाविज्ञान से गाणितिक और बीज-गाणितिक भाषाविज्ञान तक, व्यतिरेकी भाषाविज्ञान से अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान तक, संगणक भाषा विज्ञान से कॉपर्स भाषाविज्ञान तक बीस प्रकार के भाषाविज्ञान के निरूपण और युक्तियुक्त विवेचन को अपने में समाविष्ट करती है; तो दूसरी ओर इसे नृतत्‍त्‍व-विज्ञान, प्राणि-विज्ञान, चिकित्सा-विज्ञान, पर्यावरण-विज्ञान, प्रजाति-विज्ञान, शान्ति-अध्ययन, आनुपातिक अध्ययन, सांख्यिकी, धर्म, शिक्षा और दर्शन से जोड़कर स्वरूपित करती है। यह पुस्तक डी.

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 10
  • Model: RKP3261
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP3261
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 264P
  • Edition: 0
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2012
₹ 400.00
Ex Tax: ₹ 400.00