Menu
Your Cart

Hindi - Kabuliwale Ki Bangali Biwi

Hindi - Kabuliwale Ki Bangali Biwi
“चाहत! चाहत का मतलब समझते हैं आप लोग? एक इनसान को दो वक़्त का खाना देने से ही क्या चाहत होती है? सिर छुपाने के लिए थोड़ी-सी जगह दे देने से ही क्या कर्तव्य ख़त्म हो जाता है? ब्याह कर भाइयों के पास बीवी को छोड़ जाने से ही क्या शौहर के सब दायित्वों का निर्वाह हो जाता है?...दिन-पर-दिन उसके भाई मुझ पर हाथ उठाते हैं...अशोभनीय भाषा में गाली-गलौच करते हैं...माता-पिता तक को गालियाँ देते हैं...”सुष्मिता बंद्योपाध्याय का दिल दहला देनेवाला आत्मकथात्मक उपन्यास है—‘काबुलीवाले की बंगाली बीवी’।बंगाली ब्राह्मण परिवार की लड़की का एक अफ़ग़ानी लड़के से प्रेम, फिर विवाह और फिर आठ साल तक अफ़ग़ानिस्तान में यातनाओं का कुचक्र—यही कथाभूमि है इसकी।इस आत्मकथ्य में जहाँ तालिबानी पृष्ठभूमि की, निरंकुश धार्मिक कट्टरताओं को बेनक़ाब किया गया है, वहीं निरपेक्ष रूप से एक स्त्री की, छोटे बच्चे की तरह अपने घर वापस आने की छटपटाहट को भी मार्मिक अभिव्यक्ति मिली है।भीतर तक हौला देनेवाला उपन्यास है—‘काबुलीवाले की बंगाली बीवी’।

Hindi - Kabuliwale Ki Bangali Biwi

Kabuliwale Ki Bangali Biwi - by - Rajkamal Prakashan

Kabuliwale Ki Bangali Biwi - “चाहत!

Write a review

Please login or register to review
  • Stock: 2-3 Days
  • Model: RKP381
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP381
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 139p
  • Edition: 2002, Ed. 1st
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back
  • Year: 2002
₹ 0.00
Ex Tax: ₹ 0.00