Poetry - Raqs Jaari Hai
अब्बास ताबिश की ग़ज़लों में एक साधा हुआ रूमान है, जिसकी हदें इंसानी रूह और इंसानों की दूर-दूर तक फैली हुई दुनिया के तमामतर मसलों पर निगाह डालती हैं। वे पाकिस्तान से हैं और उर्दू शायरी की उस रवायत में हैं जिससे पाकिस्तान के साथ-साथ हिन्दुस्तान के लोग भी बख़ूबी परिचित हैं, और जिसके दीवाने दोनों मुल्कों में बराबर पाए जाते हैं।अहसास के उनके यहाँ कई रंग हैं, यानी ये नहीं कहा जा सकता कि वे सिर्फ़ इश्क़ के शायर हैं, या सिर्फ़, फ़लसफ़े की गुत्थियों को ही अपने अशआर में खोलते हैं, या सिर्फ़ दुनियावी समझ और ज़िन्दगी को ही अपना विषय बनाते हैं। उनके यहाँ यह सब भी है—मसलन यह शेर, ‘हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस, जो तआल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं।’ इस शे’र में निहाँ विराग और लगाव हैरान कर देनेवाला है, उसको कहने का अन्दाज़ तो लाजवाब है ही। अपनी बात को कहने के लिए वे अपने अहसास को एक तस्वीर की शक्ल में हम तक पहुँचाते हैं जो पढ़ने-सुनने वाले के ज़ेहन में नक़्श हो जाता है।‘मैं कैसे अपने तवाज़ुन को बरकरार रक्खूँ, क़दम जमाऊँ तो साँसें उखड़ने लगती हैं’। इस शे’र में क्या एक भरा-पूरा आदमी अपने वजूद की चुनौतियों को सँभालने की जद्दोजहद में हलकान हमारे सामने साकार नहीं हो जाता? अब्बास ताबिश की विशेषताओं में यह चित्रात्मकता सबसे ज़्यादा ध्यान आकर्षित करती है। मिसाल के लिए एक और शे’र, ‘ये जो मैं भागता हूँ वक़्त से आगे-आगे, मेरी वहशत के मुताबिक़ ये रवानी कम है’।अब्बास ताबिश की चुनिन्दा ग़ज़लों का यह संग्रह उनकी अब तक प्रकाशित सभी किताबों की नुमायंदगी करता है। उम्मीद है हिन्दी के शायरी-प्रेमी पाठक इस किताब से उर्दू ग़ज़ल के एक और ताक़तवर पहलू से परिचित होंगे।
Poetry - Raqs Jaari Hai
Raqs Jaari Hai - by - Radhakrishna Prakashan
Raqs Jaari Hai - अब्बास ताबिश की ग़ज़लों में एक साधा हुआ रूमान है, जिसकी हदें इंसानी रूह और इंसानों की दूर-दूर तक फैली हुई दुनिया के तमामतर मसलों पर निगाह डालती हैं। वे पाकिस्तान से हैं और उर्दू शायरी की उस रवायत में हैं जिससे पाकिस्तान के साथ-साथ हिन्दुस्तान के लोग भी बख़ूबी परिचित हैं, और जिसके दीवाने दोनों मुल्कों में बराबर पाए जाते हैं।अहसास के उनके यहाँ कई रंग हैं, यानी ये नहीं कहा जा सकता कि वे सिर्फ़ इश्क़ के शायर हैं, या सिर्फ़, फ़लसफ़े की गुत्थियों को ही अपने अशआर में खोलते हैं, या सिर्फ़ दुनियावी समझ और ज़िन्दगी को ही अपना विषय बनाते हैं। उनके यहाँ यह सब भी है—मसलन यह शेर, ‘हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस, जो तआल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं।’ इस शे’र में निहाँ विराग और लगाव हैरान कर देनेवाला है, उसको कहने का अन्दाज़ तो लाजवाब है ही। अपनी बात को कहने के लिए वे अपने अहसास को एक तस्वीर की शक्ल में हम तक पहुँचाते हैं जो पढ़ने-सुनने वाले के ज़ेहन में नक़्श हो जाता है।‘मैं कैसे अपने तवाज़ुन को बरकरार रक्खूँ, क़दम जमाऊँ तो साँसें उखड़ने लगती हैं’। इस शे’र में क्या एक भरा-पूरा आदमी अपने वजूद की चुनौतियों को सँभालने की जद्दोजहद में हलकान हमारे सामने साकार नहीं हो जाता?
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- Model: RKP2280
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP2280
- ISBN: 0
- Total Pages: 135p
- Edition: 2019, 1st Ed.
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
- Year: 2019
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00