Poetry - Mere Desh Mein Kahte Hain Dhanyavad
रने एमिल शार्, जिन्हें अल्बैर् कामू अपने समय का महानतम कवि मानते थे, का जन्म दक्षिणी फ्रांस के प्रोवॉन्स प्रदेश के एक नामी और ख़ूबसूरत क़स्बे, ईल-सुर-सोर्ग में, 7 जून, 1907 को हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का ज़्यादातर समय पेरिस और प्रोवान्स में बिताया।शार् ने अपने बिम्ब और प्रतिमाएँ दक्षिण फ्रांस में बीते अपने बचपन से और वहाँ के प्राकृतिक दृश्यों से ली हैं। वो कोई देहाती कवि नहीं थे, लेकिन देहात के दृश्यों का प्रभाव उनकी कविताओं में भरपूर मिलता है। प्रकृति के प्रति शार् की आस्था उतनी ही दृढ़ थी जितनी अपनी कविताओं के शिल्प के प्रति। उन्होंने सोर्ग नदी के प्रदूषण, वान्तू—जिस पर प्रैटार्क ने 1336 में विजय प्राप्त की थी—और मौं मिराइल पहाड़ों की चोटियों पर न्यूक्लियर रिएक्टरों के लगाने पर शहरी आपत्ति जताई थी।शार् की सृजनात्मक दृष्टि पर, उनके कविता लिखने के उद्देश्य और शिल्प पर जिन लोगों का प्रभाव रहा, उनमें ग्रीक दार्शनिक हेरा क्लाइटस, फ़्रैंच कलाकार जॉर्ज दि लातूर और कवि आर्थर रैम्बो को प्रमुख माना जाता है। रैम्बो का साया उनके बिम्बों पर स्पष्ट दिखता है, ख़ास तौर से उनकी सूक्ष्म, घनीभूत गद्य कविताओं में। शार् पर एक और प्रभाव रहा अति यथार्थवाद का।शार् एक ही विधा में लिखना पसन्द नहीं करते। उन्होंने मुख्य रूप से तीन विधाओं (forms) में कविताएँ लिखी हैं : मुक्त छन्द, गद्य कविता, और सूक्ति। वो अपनी पद्य कविताओं (Verse Poems) और गद्य कविताओं में उन्हीं विषयों को परिवर्द्धित करते हैं जिन्हें उन्होंने अपनी सूक्तियों में उठाया।अपनी आख़िरी किताब के प्रकाशन तक शार् इस धारणा के समर्थक रहे कि कला, साहित्य और संगीत पारस्परिक रूप से प्रतिरोध की आवश्यक अभिव्यक्ति में जुड़े हुए हैं।
Poetry - Mere Desh Mein Kahte Hain Dhanyavad
Mere Desh Mein Kahte Hain Dhanyavad - by - Rajkamal Prakashan
Mere Desh Mein Kahte Hain Dhanyavad -
- Stock: 10
- Model: RKP1796
- Weight: 250.00g
- Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
- SKU: RKP1796
- ISBN: 0
- Total Pages: 142P
- Edition: 2020, Ed. 1st
- Book Language: Hindi
- Available Book Formats: Hard Back
- Year: 2020
₹ 395.00
Ex Tax: ₹ 395.00