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Fiction : Novel - Namo Andhakaram

Fiction : Novel - Namo Andhakaram
दूधनाथ सिंह के कथा-साहित्य को पढ़ते हुए लगता है कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उन्होंने हमेशा अपनी पैनी और सचेत निगाह रखी। वे अपने समीपतर परिवेश में भी विश्वव्यापी बदलावों और संकटों के चिन्ह देख लेते थे। यही कारण है कि उनकी कहानियाँ, उपन्‍यास विशेष तौर पर किसी विराट परिस्थिति का सूक्ष्म-अध्ययन जैसे मालूम पड़ते हैं।‘नमो अंधकारं’ भी ऐसी ही एक कथा-कृति है जिसमें उन्होंने समाज, विचारधारा, व्यक्ति की गिरावट आदि बिन्दुओं के सापेक्ष अपने नैतिक क्रोध को अंकित किया है। आज़ादी के बाद भारतीय समाज में जो एक खाता-पीता तबक़ा कभी विचार तो कभी ईश्वर की आड़ में सिर्फ़ अपने आसपास की दुनिया नहीं, बल्कि मानवीयता के अखिल विचार के लिए ख़तरा हो गया है, यह उपन्यास उसका राजनीतिक शोकगीत है। यह एक संवेदनशील व्यक्ति की पतन-गाथा का चित्र खींचता है, जो और भी दुखद है।दूधनाथ जी कहा करते थे कि ‘कथा-लेखन में वास्तविक ज़़िन्दगी की एक भीतरी छाया रहती है जिसको एक लेखक अपनी कल्पना से रचता है।’ और इस रचने में वह उस भीतरी छाया को बड़े फलक पर सामान्यीकृत करके एक सत्य के रूप में स्थापित करता है। ‘नमो अंधकारं’ पर उठे विवादों के चलते बार-बार पाठकों ने इसे पढ़ा, और इस मान्यता की ताईद की। किसी भी पाठक के लिए यह एक ज़रूरी पाठ है।

Fiction : Novel - Namo Andhakaram

Namo Andhakaram - by - Radhakrishna Prakashan

Namo Andhakaram -

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  • Stock: 10
  • Model: RKP2955
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RKP2955
  • ISBN: 0
  • Total Pages: 116P
  • Edition: 2021, Ed. 4th
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Hard Back, Paper Back
  • Year: 1998
₹ 150.00
Ex Tax: ₹ 150.00