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Dinkar Granthmala

Dinkar Granthmala
— इस पुस्तक में आधुनिकता पर केन्द्रित निबन्ध संकलित हैं। एक युगद्रष्टा राष्ट्रकवि के मौलिक चिन्तन से ओतप्रोत विचारोत्तेजक ये निबन्ध आधुनिकता के महत्त्व को इस तार्किकता के साथ रेखांकित करते हैं कि पाठकों को अपने राष्ट्र के प्रति एक नई दृष्टि मिल सके।आधुनिकता की परिभाषा क्या है? धर्म, साहित्य और समा..
₹ 395.00
Ex Tax:₹ 395.00
‘आत्मा की आँखें' में संकलित हैं डी.एच. लॉरेन्स की वे कविताएँ जो यूरोप और अमेरिका में बहुत लोकप्रिय नहीं हो सकीं, लेकिन दिनकर जी ने उन्हें चयनित कर अपनी सहज भाषा-शैली में इस तरह अनुवाद किया कि नितान्त मौलिक प्रतीत होती हैं।डी.एच. लॉरेन्स की कविताओं के अनुवाद के पीछे जो मुख्य बातें थीं, उनके बारे मे..
₹ 150.00
Ex Tax:₹ 150.00
राष्ट्रीय एकता का प्रश्न स्वतंत्रता के बाद भी हमारे सामने ज्वलन्त रूप में था और आज भी वैसा ही बना हुआ है। ऐसे में राष्ट्रकवि दिनकर की यह पुस्तक हमारे लिए एक मार्गदशर्क की भूमिका निभा सकती है।ग़ौरतलब है कि वर्ण, धर्म, रंगभेद, वर्ग आदि के आधार पर युगों से चली आ रही जो असमानता और बिखराव आज पूँजीवादी ..
₹ 99.00
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“श्री अरविन्द के व्यक्तित्व में योगी, कवि और दार्शनिक, तीनों का समन्वय था और वे सब-के-सब एक ही लक्ष्य की ओर गतिशील थे।...उनके दर्शन और काव्य की जो वास्तविक शक्ति है, उनके भीतर जो प्रामाणिकता है, वह श्री अरविन्द की योगसाधना से आई है। योग के बल से ही उन्होंने सत्य को देखा और योग के बल से ही उन्हें यह ..
₹ 495.00
Ex Tax:₹ 495.00
‘धूप और धुआँ' आज़ादी के बाद लिखी गई राष्ट्रीय कविताओं का एक महत्त्वपूर्ण संग्रह है। इसमें संगृहीत कविताएँ समकालीन अवस्थाओं के विरुद्ध भावात्मक प्रतिक्रिया के रूप में प्रकट हुई हैं। स्वराज्य से फूटनेवाली आशा की धूप और उसके विरुद्ध जन्मे असन्तोष का धुआँ, ये दोनों ही इन रचनाओं में यथास्थान प्रतिबिम्बित..
₹ 295.00
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भारतीय संस्कृति और परम्परा से गहरे जुड़े दिनकर के इस गीत-संग्रह में विविधता और बहुलता एक बड़े कैनवस पर देखने को मिलती है।इस संग्रह में मातृभूमि की सौंधी गंध और करुण वेदना का मार्मिक मिश्रण इस तरह मूर्त है कि संवाद सहज ही स्थापित किया जा सकता है। यहाँ प्रेम अनेक रूपों में अपने वैशिष्ट्य को लिए हुए ..
₹ 125.00
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“दैनिकी के लिए अंग्रेज़ी में दो शब्द हैं–डायरी और जर्नल। डायरी वह चीज़ है, जो रोज़ लिखी जाती है और जिसमें घोर रूप से वैयक्तिक बातें भी लिखी जा सकती हैं। बहुत-से महापुरुषों की डायरियाँ प्रकाशित हुई हैं, जिनमें से लज्जा या कलंक की बातें काटकर निकाल दी गई हैं। मगर जर्नल के लिए यह ज़रूरी नहीं है कि वह र..
₹ 399.00
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सूक्तियों की भूमिका अक्सर प्रेरक होती है। वे हमारी संवेदना और विचारों को स्पर्श कर परिष्कृत करने का काम करती हैं। वे किसी भी भाषा में लिखी गई हों, बोलचाल में इस तरह घुलमिल जाती हैं कि उद्देश्य हो या उपदेश उसकी पूर्व पीठिका की तैयारी में सहज ही उदाहरण बन व्यक्त हो जाती हैं, और बात की प्रामाणिकता तनिक..
₹ 150.00
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‘हमारी सांस्कृतिक एकता' भाषणों और लेखों का संग्रह है। प्रायः सबका विषय भाषा और संस्कृति है। पुस्तक अपने विवेचन-विश्लेषण में दिनकर जी के गहन चिन्तन का द्योतक है। राष्ट्रकवि ने अपनी इस पुस्तक में भारत की विविधता में एकता पर विचार करते हुए भाषा और संस्कृति की भूमिका को वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक क..
₹ 199.00
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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' का साहित्य के विभिन्न विधाओं में अपना एक महत्त्वपूर्ण योगदान है। रेडियो-रूपकों का यह संग्रह 'हे राम' उन्हीं में से एक है। दिनकर जी की इस पुस्तक में स्वामी विवेकानन्द, महर्षि रमण एवं महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों के जीवन को आधार बनाकर रूपक लिखे गए हैं। गाँधी जी पर जो र..
₹ 395.00
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कविश्री' रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ओजस्वी कविताओं का संग्रह है। कविताओं में प्रखर राष्ट्रवाद, प्रकृति के प्रति उत्कट प्रेम एवं मानव-कल्याण-कामना की मंगल-भावना के दर्शन होते हैं। 'कविश्री' में संगृहीत हैं दिनकर जी की 'हिमालय के प्रति', 'प्रभाती', 'व्याल विजय' एवं 'नया मनुष्य' जैसी प्रसिद्ध प्रदीर्घ कवि..
₹ 99.00
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‘कोयला और कवित्व' में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की सन् साठ के बाद रची गई ऐसी कविताएँ हैं जो अपने आधुनिकता-बोध में पारदर्शी तो हैं ही,  कला-विन्यास का श्रेष्ठ उदाहरण भी हैं।इस संग्रह में संकलित है एक विदुषी को लिखा गया कवि का गीत-पत्र–'कला फलाशा से युक्त होती है या वियुक्त और कोयले का उत्पादन बढ़ाने को ..
₹ 295.00
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