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Satire - Chakallas - Paperback

Satire - Chakallas - Paperback
अमृतलाल नागर की लेखनी से हास्य-व्यंग्य मिश्रित जिन विभिन्न रचनाओं का सृजन हुआ वे अपने आप में विलक्षण हैं। ये समय-समय पर विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थीं। उनके कई संग्रह निकले जिन्हें बेहद पसन्द किया गया। ‘चकल्लस’ के नाम से उन्होंने एक पत्र भी निकाला जिसका साहित्य जगत में अपना एक विशेष स्थान बन गया। ‘चकल्लस’ में नागर जी की सभी श्रेष्ठ हास्य-व्यंग्य रचनाएँ एक साथ प्रकाशित हैं। इससे इनकी विविधता तथा लेखक के सहज विनोदी स्वभाव का ज्ञान होता है। अमृतलाल नागर का जन्म 17 अगस्त 1916 में आगरा में हुआ था। वे उन्नीसवीं सदी के हिन्दी साहित्य के महत्त्वपूर्ण लेखक थे जिन्हें अक्सर प्रेमचंद का साहित्यिक वारिस माना जाता है। उनके लेखन की विशेषता थी यादगार चरित्रों का सृजन, जो पुस्तक पढ़ने के बाद भी देर तक पाठक के दिलो-दिमाग पर अपना प्रभाव छोड़ते थे। बहुआयामी प्रतिभा वाले नागर जी ने 74 वर्ष के जीवन काल में सभी विधाओं पर लिखा जिसमें कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, संस्मरण और बच्चों के लिए कई रोचक पुस्तकें हैं। 1967 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1981 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। उनके उपन्यास मानस का हंस, नाच्यौ बहुत गोपाल और खंजन नयन हिन्दी साहित्य में मील के पत्थर साबित हुए।

Satire - Chakallas - Paperback

Chakallas - Paperback - by - Rajpal And Sons

Chakallas - Paperback -

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  • Stock: 10
  • Model: RAJPAL560
  • Weight: 250.00g
  • Dimensions: 18.00cm x 12.00cm x 2.00cm
  • SKU: RAJPAL560
  • ISBN: 9789350643976
  • ISBN: 9789350643976
  • Total Pages: 224
  • Book Language: Hindi
  • Available Book Formats: Paperback
  • Year: 2016
₹ 325.00
Ex Tax: ₹ 325.00