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Literary

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देवदास, पारो और चंद्रमुखी -ये तीनो किरदार प्रेम के ऐसे प्रतीक बन गये है की उनकी गिनती लैला -मजनू , शीरी फरहाद , हीर -राँझा के साथ होने लगी . बीसवी सदी के बंगाल के जमीदार समाज की पृष्टभूमि में स्थित यह एक मार्मिक प्रेमगाथा है . इसमें देवदास को अपने बचपन के साथी पारो से अटूट प्यार है लेकिन यह प्यार पर..
₹ 165.00
Ex Tax:₹ 165.00
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास ‘ढाई घर’ के लेखक गिरिराज किशोर प्रख्यात उपन्यासकार, सफल कहानीकार, नाटककार और निबन्धकार भी हैं। और यह केवल इसलिए कि उनका लेखन ज़िन्दगी की विविधताओं और जटिलताओं को समझने और जीने में मदद करता है। उनकी कहानियों में भी यह गुण पूरी तरह विद्यमान है। मुज़फ्फरनगर (..
₹ 425.00
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धर्मपुत्र मनुष्य की अस्मिता के बारे में मूल प्रश्न उठाता है-क्या किसी इंसान का अस्तित्व इस बात पर निर्भर है कि वह किस परिवार में जन्मा या उसे किस प्रकार की शिक्षा संस्कार दिए गए या फिर इंसान की अस्मिता धर्म, शिक्षा और संस्कारों से परे इंसानियत से जुड़े जीवन-मूल्यों से है। यह कहानी है हिन्दू और मुसलम..
₹ 215.00
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‘पद्यमभूषण’ से सम्मानित लेखक विष्णु प्रभाकर का यह कहानी-संकलन हिन्दी साहित्य में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसमें लेखक ने जिन चुनिंदा सोलह कहानियों को लिया है उन की दिलचस्प बात यह है कि अपनी हर कहानी से पहले उन्होंने उस घटना का भी उल्लेख किया है जिसने उन्हें कहानी लिखने की प्रेरणा दी।..
₹ 300.00
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स्वयं को महाराणा प्रताप का वंशज मानने वाले गाड़िये-लुहारों के जीवन चरित पर आधारित है रांगेय राघव का यह उपन्यास। आज के प्रगतिशील युग में भी गाड़िये-लुहार आधुनिकता से कोसों दूर अपने ही सिद्धांतों, आदर्शों और जीवन मूल्यों पर चलते हैं। कभी घर बनाकर न रहने वाले, खानाबदोशों की तरह जीवन यापन करने वाले और स..
₹ 175.00
Ex Tax:₹ 175.00
‘एक इंच मुस्कान’ कथाकार-युगल राजेन्द्र यादव और मन्नू भंडारी का सहयोगी रूप से लिखित एक अत्यन्त रोचक उपन्यास है। एक प्रयोग और एक श्रेष्ठ कथाकृति, दोनों ही दृष्टियों से यह एक सफल रचना है। अब तक इस प्रकार के प्रयोग प्रायः असफल सिद्ध हुए थे। लेकिन ‘एक इंच मुस्कान’ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि प्रभाव, गठन..
₹ 295.00
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प्रसिद्ध उपन्यासकार कृष्ण बलदेव वैद की गणना आज के सबसे महत्त्वपूर्ण लेखकों में की जाती है। उपन्यास तथा कहानियों के अतिरिक्त नाट्य लेखन और अनुवाद के क्षेत्र में भी उन्होंने अपना अप्रतिम स्थान बना लिया है। अपनी कृतियों में उन्होंने सदा नवीन प्रयोग किए हैं जो चमत्कृत करने के साथ विशिष्ट अर्थपूर्ण भी सि..
₹ 250.00
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‘‘यह मेरा पहला उपन्यास है। लिखा सन् 1956 में गया था, यह उसी समय पूरा का पूरा हंस में छपा था। फिर सन् 68-69 या शायद इसके बाद श्री प्रेम कपूर ने इस पर फ़िल्म बनाई ‘बदनाम बस्ती’। मेरे लिए यह उपन्यास उतना ही प्रिय है जितनी प्रिय मेरे लिए मेरी माँ और मेरी जन्मभूमि मैनपुरी। तब यह उपन्यास बदनाम बस्ती के ना..
₹ 175.00
Ex Tax:₹ 175.00
1931 में लिख, ग़बन, मुंशी प्रेमचंद का सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यास है जो आज़ादी से पहले उत्तर भारत के समाज का एक बहुत ही जीवंत चित्र खींचता है। रमानाथ की पत्नी जालपा को गहनों से इतना लगाव है कि उसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है। और अपनी पत्नी की गहनों की ख़्वाहिश को पूरा करने के लिए रमानाथ इत..
₹ 185.00
Ex Tax:₹ 185.00
Gharaunda - Hardbound - RAJPAL749 - Literary..
₹ 300.00
Ex Tax:₹ 300.00
‘उपन्यास सम्राट’ की उपाधि पाने वाले मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के सबसे अधिक लोकप्रिय लेखक हैं। उन्होंने अपने जीवकाल में चौदह उपन्यास, ढाई सौ कहानियां और अनगिनत निबंध लिखे। इसके अतिरिक्त उन्होंने कुछ अन्य भाषाओं की पुस्तकों को हिन्दी में अनूदित किया। उनका सारा लेखन यथार्थ पर आधारित था और उसके माध्यम से उस..
₹ 195.00
Ex Tax:₹ 195.00
‘‘मैं जन्मजात अभागिनी हूँ। स्त्री जाति का कलंक हूँ। परन्तु मैं निर्दोष हूँ, निष्पाप हूँ। मेरा दुर्भाग्य मेरा अपना नहीं है, मेरी जाति का है, जाति-परम्परा का है; हम पैदा ही इसलिए होते हैं कि कलंकित जीवन व्यतीत करें। जैसे मैं हूँ ऐसी ही मेरी माँ थी, परदादी थी, उनकी दादियाँ-परदादियाँ थीं। मैंने जन्म से ..
₹ 225.00
Ex Tax:₹ 225.00
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