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आज़ादी का अमृत महोत्सव

आज़ादी का अमृत महोत्सव
हिन्दी के जाने-माने कथाकार बलवन्त सिंह के इस वृहत् उपन्यास में विभाजन से कई वर्ष पूर्व के पंजाब की कहानी है। पात्रों के चयन में लेखक ने बहुत ही सजग दृष्टि का परिचय दिया है, और जीवन के केवल उसी क्षेत्र से उनका चुनाव किया है जो उसके प्रत्यक्ष अनुभव की परिधि में आते हैं। मुख्यत: जाट-पात्रों के माध्यम स..
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एक पुण्य-स्थान के रूप में नैमिषारण्य का उल्लेख बहुत सारे पुराणों में प्राप्त होता है। यही वह स्थान है जहाँ ऋषि-मुनि, कोई समस्या उपस्थित होने पर सभा करते थे। यहीं अधिक यज्ञ-यजन हुए।यह नागर जी की एकमात्र पौराणिक, पर श्रेष्ठ कृति है। सारे पात्र पौराणिक हैं, कल्पित और अकल्पित भी। पौराणिक गाथाओं का ही ..
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भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एवं स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का भारत में त्वरित विलय कराने, स्वाधीन देश में उपयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था बनाने और कई कठिनाइयों से जूझते हुए देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कराने में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान अप्रतिम रहा है। वे लाखों लोगों..
₹ 695.00
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मॉरिशस के सुप्रसिद्ध हिन्दी कथाकार अभिमन्यु अनत का यह उपन्यास उनकी बहुचर्चित कथाकृति ‘लाल पसीना’ की अगली कड़ी है। ‘लाल पसीना’ मॉरिशस की धरती पर प्रवासी भारतीयों की शोषणग्रस्त ज़िन्दगी के अनेकानेक अँधेरों का दर्दनाक दस्तावेज़ है, लेकिन इस उपन्यास में हम उसी ज़िन्दगी और उन अँधेरों से चेतना का एक नया सू..
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भारतीय मनीषा के आधुनिक महानायक रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने ‘गोरा’ की रचना एक शताब्दी पहले की थी और यह उपन्यास भारतीय साहित्य की पिछली पूरी शताब्दी के भीतर मौजूद जीवन-रेखाओं के भीतरी परिदृश्य की सबसे प्रामाणिक पहचान बना रहा। वर्तमान विश्व के तेज़ी से घूमते चक्र में जब एक बार फिर सभी महाद्वीपों के समाज इस प्..
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‘झाँसी की रानी’ महाश्वेता देवी की प्रथम रचना है। स्वयं उन्हीं के शब्दों में, ‘इसी को लिखने के बाद मैं समझ पाई कि मैं एक कथाकार बनूँगी।’ इस उपन्यास को लिखने के लिए महाश्वेता जी ने अथक अध्ययन किया और झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के विषय में व्याप्त तरह-तरह की किंवदन्तियों के घटाटोप को पार कर तथ्यों और प्र..
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भारत-पाकिस्तान विभाजन भारतीय राज्य के इतिहास का वह अध्याय है जो एक विराट त्रासदी के रूप में अनेक भारतीयों के मन पर आज भी जस-का-तस अंकित है। अपनी ज़मीनों-घरों से विस्थापित, असंख्य लोग जब नक़्शे में खींच दी गई एक रेखा के इधर और उधर की यात्रा पर निकल पड़े थे, यह न सिर्फ़ मनुष्य के जीवट की बल्कि भारतवर्ष..
₹ 325.00
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भारत-पाकिस्तान विभाजन भारतीय राज्य के इतिहास का वह अध्याय है जो एक विराट त्रासदी के रूप में अनेक भारतीयों के मन पर आज भी जस-का-तस अंकित है। अपनी ज़मीनों-घरों से विस्थापित, असंख्य लोग जब नक़्शे में खींच दी गई एक रेखा के इधर और उधर की यात्रा पर निकल पड़े थे, यह न सिर्फ़ मनुष्य के जीवट की बल्कि भारतवर्ष..
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चौरी चौरा कांड को कांग्रेसियों ने इतिहास के बाहर कर दिया कि उसके कारण गांधी जी ने अपना आन्दोलन वापस ले लिया था। क्रान्तिकारियों ने उसे बाहर कर दिया, क्योंकि उसमें किसी नामी-गिरामी क्रान्तिकारी ने हिस्सा नहीं लिया था। अंग्रेज़ों ने बाहर कर दिया, क्योंकि वह उनकी सत्ता को सीधे ललकार गया। दु:खद यह कि उस..
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बिहार के अनेक ज़िलों के घने जंगलों में रहनेवाली आदिम जातियों की अनुभूतियों, पुरा-कथाओं और सनातन विश्वासों में सिझी सजीव, सचेत आस्था का चित्रण। जंगलों को माँ की तरह पूजा करनेवाले, अमावस की रात के अँधेरे से भी काले—और प्रकृति जैसे निष्पाप—मुंडा, हो, हूल, संथाल, कोल और अन्य बर्बर (?), असभ्य (?) जातियों..
₹ 350.00
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बलवन्‍त सिंह का रचनाकार न तो अतिरिक्त सामाजिकता से आक्रान्‍त रहता है और न ही कला और शिल्प के दबावों से आतंकित। अपनी सतत जागरूक और सचेत निगाह से वे अपने कथा-चरित्रों और कथा-भूमि के सबसे विश्वसनीय यथार्थ तक पहुँचने का प्रयास करते हैं। शिल्प और संवेदना का द्वन्‍द्व उनकी रचनाओं में प्रशंसनीय सन्‍तुलन के..
₹ 250.00
Ex Tax:₹ 250.00
भारत का स्वाधीनता आन्दोलन जिस प्रकार से लड़ा गया उसमें आए अनेक उतार-चढ़ाव और संघर्ष हमें प्राचीन ‘महाभारत’ की याद दिलाते हैं। ‘कथा विराट’ के 18 अध्यायों में भारतीयों द्वारा अंग्रेज़ों के विरुद्ध लड़े गए आधुनिक महाभारत की वृहद् कथा बेहद दिलचस्प और तथ्यपरक ढंग से शृंखलाबद्ध है। यह सन् 1915 से 1950 तक ..
₹ 450.00
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